-राकेश पुंडीर जी की कलम से
मुंबई. कहते हैं समय कोई बांध कर नहीं रख सकता, देखते ही देखते 35 वर्ष गुजर गए , लगता है जैसे कल ही की बात है, जब नाट्य सम्राट कुंदन सिंह नेगी जी की अध्यक्षता व अभिनय सरताज बलदेव राणा जी उपाध्यक्षता में सन 1986 “पर्वतीय नाट्य मंच की मुंबई में स्थापना हुई , गठन के तुरंत बाद ही सत्यवान सावित्री नाटिका की तयारी होने लगी , एक तरफ नाटिका की रिहल्सर चलती तो दूसरी तरफ दूसरी बडी जिम्मेदारी और चिंता नाट्यगृह को हाउस फुल करने की भी रहती, उस दौर में आज के दौर के समान महौल नही था.
प्रचार प्रषार हेतु न मोबाईल थे न व्हटसएप था न फेसबुक… लोक नाटकों अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रचार प्रषार हेतु तब बहुत मेहनत करनी पडती थी, आम लोगों को रंगमंच थियेटर तक लाने के लिये हमें मुंबई के उत्तराखंडियों को हर एक क्षेत्र से ढूंढ ढूंड कर घर घर से निकालना पड़ता था…. पूरी शिद्दत के साथ कन्वेंस कर टिकिट चिटकाने पड़ते थे… कई बार भोजन का समय कब निकल गया पता ही नही चलता था…. जब भूख का एहसास होता तो रेल्वे स्टेशनों पर चाय और बडापाव से काम चला लेते … आज कार्यक्रमों की प्रबलता हेतु कार्यकर्ता अतिथियों से भेंट करने कारों मे चलते हैं उस दौर मे किसी के पास कार क्या स्कूटर भी नहीं हुआ करते थे. उस दौर में हम लोग लोकल ट्रेनों की भीड़ भरी आंधी से टकराकर अतिथियों के आवासों या कार्यालयों तक पहुंचते थे.
बरहाल, लिखने के लिये पर्वतीय नाट्य मंच की सांस्कृतिक टीम की संघर्ष की कहानी बहुत बड़ी है, परंतु लिखने के लिए समय कम पड़ जाता है. इतने बड़े दौर में कई बिछुड़े और कई जुड़े दौर बदला…संघर्ष भी बदल गया ! संघर्ष आज भी है परंतु संघर्ष थोडा सहज और संतुलित हो गया है. परंतु क्या यह संघर्ष इतने लंबे दौर से संस्कृति कर्मी स्वयं के लिये कर रहे थे ? नही…. बिल्कुल नही… सभी यथायोग्य अपनी अपनी नौकरी पेशा अथवा सेवाओं से जुडे हैं, सभी का परिवार यथोचित संपन व सुरक्षित है, परंतु सभी को जनून है कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत, लोक परंपराओं, लोकजीवन, भाषा बोली, शिल्प कला, लोक कलाओं को मंचन के माध्यम से जींवत रखना लक्ष्य है. यही उदेयश्य और प्रतिबध्दता भी है.
पर्वतीय नाट्य मंच ने 35 वर्ष की इस लंबी सांस्कृतिक यात्रा में अब तक 68 सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक संपन्न किया, जिसमें संपूर्ण भारत व विदेशी धरती में भी कार्यक्रम संपन्न हुए, मुंबई में पर्वतीय नाट्य मंच द्वारा मां नंदा देवी राजजात कार्यक्रम हर तीन वर्ष में 15 दिनों तक संचालित किये जाते हैं. इस बार यह सांस्कृतिक यात्रा प्रथम बार अब उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के चंपावत में संपन्न होगी. इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हमें सार्थक प्रयास के सानिध्य पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, रानीखेत, नैनीताल व पौड़ी में भी इस नाटिका का मंचन करना है. संपूर्ण पनामं की टीम संस्कृति प्रेमियों के साथ उत्तराखंड की वर्तमान सरकार के भी आभारी है, जिन्होंने पनामं को एक नई जागृति, शक्ति, प्रेरणा और दिशा दी !
पर्वतीय नाट्य मंच मुंबई, की सांस्कृतिक यात्रा एवं इतिहास
1986 से 2019
नाटिकाओं व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सूची
1▪ सत्यवान -सावित्री – 1986- मुंबई
2▪ अबजसी नथूली भाग्यान ब्वारी 1986
3▪ अमर शहीद श्रीदेव सुमन- 1987 मुंबई
4▪ अमर शहीद श्रीदेव सुमन – 1987 मुंबई
5▪ सबू म बोल्या – 1987 – मुंबई
6▪ हरिश्चंद्र तारामती – 1987 मुंबई
7▪ आफत ल्यायों मोल – 1987- मुंबई
8▪ आफत ल्यायों मोल – 1987 – गढ़वाल (जखोली ब्लॉक )
9▪ अब होलू पर होलू क्या – 1987 गढ़वाल (रणधार बांगर )
10▪ बवंडर -1987 – मुंबई
11▪ बरात – 1990 – मुंबई
12▪ बलिदान -1991- मुंबई
13▪ विधाता कि लेख – 1991 – मुंबई
14▪ कनु भूकंप आई – 1992 – मुंबई
15▪ मेरू देवता – 1992 – मुंबई
16▪ उत्तराखंड का गीत मुंबई का बीच – 1993 – मुंबई
17▪ अमर शहीद श्रीदेव सुमन – 1994 – टिहरी गढ़वाल
18▪ अमर शहीद श्रीदेव सुमन – 1994- उत्तरकाशी
19▪ अमर शहीद श्रीदेव सुमन – 1994 -पौड़ी गढ़वाल (रामलीला मैदान)
20▪ अमर शहीद श्रीदेव सुमन – 1994 – श्रीनगर गढ़वाल (रामलीला मैदान)
21▪ अमर शहीद श्रीदेव सुमन – 1994-ऋषिकेश
22▪ प्यारू उत्तराखंड – 1994 – मुंबई
23▪ प्यारी जन्मभूमि – 1994 – मुंबई
24▪ अखल्यार – 1995 – मुंबई
25▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 1995 – मुंबई
26▪ सत्यवान – सावित्री – 1996 – मुंबई
27▪ सिमन्या समधी – 1997 – मुंबई
28▪ एक शाम उत्तरांचल के नाम -1999- मुंबई
29▪ चला कौथिग देखी औला -1999- मुंबई
30▪ कख होलो मेरी डांडी-काँठी – 1999 – मुंबई
31▪ माँ नन्दादेवी राजजात -2002- मुंबई
32▪ ऐ जाणू पंचमी का मेळा – 2002- मुंबई
33▪ जुन्याळी आस – 2003 – मुंबई
34▪ सरूली मेरू जिया लगीगे – 2004- मुंबई
35▪ उत्तरांचल पर्यटन विभाग – 2004- मुंबई
36▪ औ भिंटेई जौला भौळ कैन देखि – 2005 -मुंबई
37▪ जागर – 2006 -नवी मुंबई
38▪ एक शाम उत्तराखंड के नाम – 2006 -मुंबई
39▪ बाडूळी – 2007 – नवी मुंबई
40▪ चला कौथिग – 2007 – मुंबई
41▪ ह्यूंद का दिन – 2008 – मुंबई
42▪ उत्तराखंड का गीत बंगलुरु का बीच – 2008 बंगलौर
43▪ माँ नन्दादेवी राजजात 2008 मुंबई
( 3 दिवसीय )
44▪ समौंण – 2008 – नवी मुंबई
45▪ माँ नन्दादेवी राजजात 2009 मुंबई
( तीन दिवसीय )
46▪ जगदी कौथिग – 2010- गढ़वाल हिंदाऊ
47▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2010 -मुंबई
48▪ माँ नन्दादेवी राजजात 2010 मुंबई
( तीन दिवसीय )
49▪ वीरभड़ माधोसिंह भंडारी – 2010 -मुंबई
50▪ माँ नन्दादेवी राजजात -2011- मुंबई
( तीन दिवसीय )
51▪ माँ नन्दादेवी छत्तर अर्पण दिवस – 2011- नवी मुंबई
52▪ फिर बौड़ी ऐगी बग्वाळ – 2011- मुंबई
53▪ माँ नन्दादेवी झाँकी – 2011 मुंबई
54▪ माँ नन्दादेवी राजजात महोत्सव 2012 मुंबई
( 10 दिवसीय )
55▪ फाँची – किसान मेळा – 2014 गढ़वाल ( जखोली ब्लॉक )
56▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2016 – देहरादून ( उत्तराखंड )
57▪ माँ नन्दादेवी डोली अर्धकुंभ हरिद्वार 2016 -उत्तराखंड
58▪ शुभलग्न – 2016 त्रिषिकेश- उत्तराखंड
59▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2016 -त्रिषिकेश- उत्तराखंड
60▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2016 – त्रिषिकेश – उत्तराखंड (दूसरी बार)
61▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2017 – रूद्रप्रयाग – उत्तराखंड
62▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2017 – मसूरी -उत्तराखंड
63▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2018 टिहरी – उत्तराखंड
64▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2018 – देहरादून – उत्तराखंड
65▪ माँ नन्दादेवी राजजात महोत्सव 2018 मुंबई
( 15 दिवसीय )
66▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2018 श्रीनगर – उत्तराखंड
67▪ वीरभड़ माधोसिंह भण्डारी – 2019 ऐतिहासिक भूमि मलेथा – उत्तराखंड
68 – वीरभड़ माधो सिंह भंडारी – 2019 बेहरीन
(प्रथम बार विदेश की धरती में)
वर्तमान पर्वतीय नाट्य मंच के पदाधिकारी
संयोजक- राजेंद्र सिंह रावत
अध्यक्ष – बलदेव राणा
उपाध्यक्ष -कपूर सिंह भंडारी
महासचिव- राकेश पुंडीर
सह सचिव -रजनी पंत
कोषाध्यक्ष- सुरेंद्र सिंह रावत
सांस्कृतिक सचिव- गजेंद्र सिंह रावत
सह सांस्कृतिक सचिव- निशा राजपूत
लेखाकार- उत्तम सिंह नेगी
प्रभारी- जय प्रकाश रावत/ अंकित सेनवाल