नवी मुंबई. विगत 25 सालों से संस्कृत अध्यापन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल नेरुल, नवी मुंबई में कार्यरत शिक्षिका श्रीमती सुधा सुंद्रियाल गौड़ को महाराष्ट्र व गोवा के राज्यपाल श्री भगतसिंह कोश्यारी जी ने अभिनंदन किया है. राज्यपाल श्री भगतसिंह कोश्यारी जी ने सुधा गौड़ जी को शुभकामना पत्र देते हुए संस्कृत भाषा के लिए किए जा रहे उनके योगदान की प्रशंसा की है.
राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी जी ने अपने शुभकामना पत्र में लिखा कि देववाणी संस्कृत अनेक भाषाओं की जननी है और संस्कृत हमारी संस्कृति की भाषा है, अच्छे संस्कारों की भाषा है. शिक्षिका के रूप में श्रीमती सुधा गौड़ द्वारा अनेक छात्र छात्राओं को संस्कृत भाषा में पढ़ने के लिए प्रेरित करना व उन्हें उनकी परीक्षाओं में शत प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण करने का रिकार्ड अपने आप में प्रशंसनीय है.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल नेरुल, नवी मुंबई में कार्यरत श्रीमती सुधा सुंद्रियाल गौड़ विगत 25 सालों से संस्कृत अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत हैं. प्रारंभिक दौर में सरस्वती शिशु मंदिर में कार्यरत रहीं और उसके बाद मुंबई में आकर 1997 से संस्कृत अध्यापिका के पद पर सर्वप्रथम सी.बी.एस.ई. के स्कूल में अध्यापन कार्य किया. श्रीमती सुधा सुंद्रियाल गौड़ के जहां अनेक विदेशी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं जैसे कि फ्रेंच, जर्मन और जापानी भाषा, वहां विद्यार्थियों को संस्कृत पढ़ने के लिए प्रेरित कर उन्हें पढ़ाना और कक्षा दसवीं में विद्यार्थियों को 100% अंकों के लिए तैयार करने का बीड़ा उठाती रही हैं.
श्रीमती सुधा सुंद्रियाल गौड़ जी के द्वारा पढ़ाए जाने वाले स्टूडेंट हर वर्ष 60% बच्चों को 100/100 अंक उपलब्ध हुए हैं. पिछले 25 सालों से लगातार 100% रिजल्ट के रिकॉर्ड को कायम रखते हुए संस्कृत के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य कर रही हैं. संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भूतपूर्व मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति के स्मृति ईरानी के द्वारा भी श्रीमती सुधा सुंद्रियाल गौड़ सम्मानित की गई हैं और अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापिका होकर संस्कृत सेवा में संलग्न हैं.
श्रीमती सुधा गौड़ का मानना है कि भारत के विकास के लिए संस्कृत भाषा का होना अति आवश्यक है, क्योंकि संस्कृत संस्कारों की भाषा है. भारत में जितने भी वैज्ञानिक और महापुरुषों हुए हैं, उनकी पृष्ठभूमि संस्कृत की ही रही है, जैसे कि महान वैज्ञानिक जगदीश बसु, आर्यभट्ट, भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी जी संस्कृत पृष्ठभूमि होने के कारण और अच्छे संस्कार होने के कारण भारत देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन हैं. श्रीमती गौड़ का मानना है कि संस्कारवान भारत के लिए प्रत्येक नागरिक को संस्कारों की भाषा संस्कृत अनिवार्य रूप से पढ़नी चाहिए.