घनसाली. उत्तराखंड आंदोलनकारी और पहाड़ों की बुलंद आवाज स्व. लक्ष्मण सिंह राणा जी का कल ऋषिकेश में निधन हो गया. स्व. लक्ष्मण सिंह राणा जी के निधन से उत्तराखंड में शोक की लहर है. स्व. लक्ष्मण सिंह राणा जी का लंबा सामाजिक जीवन रहा है और पहाड़ों के हक हकूकों के लिए हमेशा आवाज बुलंद करते रहे.
उत्तराखड के गाँधी स्व. इंद्रमणि बडोनी जी के थे परम् शिष्य
अपने लंबे सामाजिक जीवन में स्व. लक्ष्मण सिंह राणा जी ने 80 के दशक में उत्तराखड के गाँधी स्व. इंद्रमणि बडोनी जी साथ जुड़ कर उनके परम् शिष्य के रूप में उत्तराखंड राज्य आंदोलन की लड़ाई लड़नी शरू कर दी थी. स्व. राणा जी ने राज्य निर्माण के लिए आंदोलनकारी के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई. उत्तराखड के गाँधी स्व. इंद्रमणि बडोनी जी के शिष्य ने राज्य निर्माण के बाद भी उक्रांद की मशाल कभी कुंद नहीं होने दी और भिलंगना घाटी की प्रखर आवाज बनकर उक्रांद को जीवित करने के प्रयास में निरंतर लगे रहे.
राज्य बनने के बाद भी जारी रखा बडोनी जी के पदचिन्हों पर चलने का अभियान
मूल रूप से जनपद टिहरी के पट्टी भिलंग के बजिंगा गांव के रहने वाले लक्ष्मण सिंह राणा जी ने राज्य निर्माण के बाद भी अपने गुरु बडोनी जी की जन्मस्थली के इस क्षेत्र को अपने जीते जी कभी राजनीतिक शून्यता में नहीं छोड़ा. उत्तराखंड राज्य निर्माता, उत्तराखड के गाँधी स्व. इंद्रमणि बडोनी जी के साथ रहे और उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा से लक्ष्मण सिंह राणा जी ने घनसाली विधानसभा से राज्य बनने के बाद हुए पहले चुनाव सन 2002 में हुंकार भरी.
बडोनी जी की जन्मस्थली में प्रज्ज्वलित करते रहे उक्रांद की मशाल
सफलता असफलता की परवाह किए बिना 2007 में भी घनसाली विधानसभा से बडोनी जी के राजनीतिक तप से बने उत्तराखंड क्रांति दल के टिकट से ही उनकी जन्मस्थली की इस सीट पर राजनीतिक धुनि रमाई और उक्रांद की मशाल प्रज्ज्वलित की. यूकेडी को आजीवन जिंदा करने की कोशिश में लगे रहे स्व. लक्ष्मण सिंह राणा जी 2008 से 2013 तक भिलंगना घाटी भिलग से जिला पंचायत सदस्य के प्रतिनिधि के रूप में विराजमान रहे. घनसाली क्षेत्र में जनहित के मुदों पर वे सदैव आंदोलनरत रहे. 2003 में अपनी ग्राम सभा बजिंगा भिलंग में विभिन्न जन मुदों को लेकर 25 दिन का आमरण अनशन किया.
मेरे पिता जी मेरे लिए एक पिता के साथ गुरु भी थे: आर.एस. राणा
पिता के निधन पर उनके सुपुत्र श्री आर.एस. राणा ने कहा कि आज मन बहुत दुःखी है. आज मेरे जीवन का सबसे बुरा दिन रहा, पिता जी यूं अचानक छोड़ के चले गए. क्योंकि मेरे पिता जी मेरे लिए एक पिता के साथ गुरु भी थे. साथ ही कहा कि मुझे गर्व है कि मैं राज्य आंदोलनकारी का बेटा हूँ. श्री आर.एस. राणा ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मैंने राज्य निर्माण के अग्रणी रहे स्व. लक्ष्मण सिंह जी के पुत्र के रूप में जन्म लिया है. श्री आर.एस. राणा ने कहा कि मैं पूर्ण कोशिश करूंगा कि जीवन भर अपने पिता के बताए मार्ग पर चलूं. क्षेत्र और समाज के लिए भी पिता की तरह ही अपनी आवाज़ बुलंद रखने की कोशिश करूंगा.
उक्रांद घनसाली ने कहा यह क्षेत्र के लिए अपूर्णीय क्षति
उत्तराखंड आंदोलनकारी स्व. लक्ष्मण सिंह जी के निधन पर उक्रांद घनसाली ने गहरा शोक व्यक्त किया है. पार्टी के युवा नेता राम राणा, भीमसिंह रावत आदि ने परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है. उक्रांद घनसाली के युवा नेता राम राणा जी ने उनके सुपुत्र भूपेंद्र राणा जी फ़ोन पर बात करते हुए सांत्वना दी है और दुःख के समय परिवार के प्रति सहानुभूति दी है.
उक्रांद आईटी सेल के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष उक्रांद के युवा नेता संदीप आर्य ने स्व. लक्ष्मण सिंह राणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. संदीप आर्य ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी स्व. राणा जी के निधन से जो अपूर्णीय क्षति हुई है वह कभी भरपाई नहीं हो सकती. परिवार जनों के प्रति गहरी संवेदना जताते हुए संदीप आर्य ने कहा कि राज्य निर्माता बडोनी जी के बाद जो उक्रांद की मशाल स्व. राणा जी ने इस क्षेत्र में प्रज्जवलित रखी थी हम सब क्षेत्र के युवा अपने अग्रजों के पदचिन्हों पर चलने की पूरी क्षमता के साथ कोशिश करेंगे.