नवीमुम्बई. कौथिग मुंबई की सातवीं शाम उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से आये लोकप्रिय गायक कैलाश कुमार की रंगारंग प्रस्तुति से गुंजायमान हो उठी. कैलाश कुमार ने कौथिग की सातवीं सांस्कृतिक संध्या में अपने गीतों की शुरुआत मां नंदा माता के भजन ओ नन्दा सुनंदा….से की.
मां नंदा की स्तुति के बाद कैलाश कुमार पर मां की ऐसी कृपा हुई कि आज की शाम कैलाश के गीत संगीत के इतिहास में यादगार बन गई. कैलाश ने हजारों श्रोताओं की जोरदार वाहवाही में अपने लोकप्रिय गीत मैं जाछू कमला…., पारा भींड़ बुरुशी फुली रै…., न्योली काचो रंग हल्दी को….जैसे गीतों से देर रात तक झुमा दिया.
कैलाश कुमाउं के ऐसे उभरते लोकप्रिय गायक हैं जिनके गीत पहाड़ को ठंडो पानी… को इस साल बेस्ट रीमेक गीत का अवॉर्ड मिल चुका है. कैलाश के रंगीलो मेरो मुनस्यार, आकाश में बादल, ओ बाँज झुपर्याली बाँज (झोड़ा/खेल), सोर की सरु सोरयाली जैसे गीत उत्तराखंड में धूम मचाकर खासे लोकप्रिय हैं.
- गायन के क्षेत्र में कैलाश कुमार को स्थानीय क्षेत्र के कई सामाजिक मंचों से सम्मानित किया जा चुका है और 2015 में वॉइस ऑफ कुमाऊं के खिताब से भी नवाजे जा चुके हैं.
- 2016 में सुरताल संग्राम के फर्स्ट रनरअप रहे कैलाश की लोकप्रियता उत्तराखंड के अलावा मुंबई में भी जबरदस्त है और यही कारण है कि हर कुमाऊंवासी कैलाश को सुनने के लिए कौथिग के इंतजार में रहता है.
- कैलाश 2016 से लगातार मुंबई कौथिग में अपनी प्रस्तुति देते आ रहे हैं. कैलाश ने अपनी सफलता के लिए कौथिग मुंबई के आर्गेनाइजर श्री मनोज भट्ट व कौथिग फाउंडेशन का आभार जताया है, साथ ही कहा कि श्री मनोज भट्ट जी के कारण ही उन्हें प्रवासियों का स्नेह मिला.