देहरादून. उत्तराखंड में मौसम का असामान्य बना रहना आम बात हो गई है. सुबह धूप और शाम होते होते कब बारिश, ओले गिर जाएं किसी को पता नहीं. मौसम की इस अनिश्चतता को जल्द सुरकंडा और मुक्तेश्वर के डॉप्लर रडार खत्म कर देंगे और लोगों को सटीक जानकारी मिलने लगेगी. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक ली.
बैठक में निर्देश दिए गए कि मानसून के दृष्टिगत सभी तैयारियां पूरी कर ली जाय. आपदा कि दृष्टि से संवेदनशील स्थानों का चिन्हीकरण किया जाय. आपदा रिस्पांस टाइम को कम से कम करने का प्रयास किया जाय. लोगों को कोविड 19 से बचाव के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जाय. बैठक में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बताया गया कि मौसम से संबंधित सटीक जानकारियों के लिए मुक्तेश्वर एवं सुरकंडा में डॉप्लर रडार लगाने का कार्य चल रहा है.
तहसील स्तर पर 184 सेटेलाइट फोन
इस वर्ष 12321 युवक मंगल दल एवं 10908 युवक-युवतियों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया. संचार तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए तहसील स्तर पर 184 सेटेलाइट फोन उपलब्ध कराए गए हैं. 2012 से अब तक 27 आपदा से संवेदनशील ग्रामों के 699 परिवारों का पुनर्वास किया गया है.
184 भूकंप पूर्व चेतावनी तंत्र उपकरण स्थापित
गढ़वाल मंडल में 84 एवं कुमाऊं मंडल में 100 भूकंप पूर्व चेतावनी तंत्र उपकरण स्थापित किए गए हैं. गंगा नदी पर कोटेश्वर से लेकर ऋषिकेश तक 8 संवेदनशील स्थानों पर बाढ़ चेतावनी तंत्र स्थापित किए गए हैं. राज्य एवं जिला स्तर पर कार्मिकों को इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम का प्रशिक्षण दिया गया है. राज्य आपदा मोचन निधि के तहत प्रदेश के सभी जनपदों को कुल 98 करोड़ रुपए, चिकित्सा शिक्षा निदेशालय को 20 करोड़ रुपए, लोक निर्माण विभाग को 30 करोड़ रुपए, पेयजल संस्थान को 20 करोड़ रुपए एवं चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग को 16 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई है.
युवाओं को दें आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा प्रबंधन की दृष्टिगत युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाय. ग्राम सभा में भी समय-समय पर लोगों को प्रशिक्षित किया जाए. स्कूलों में आपदा प्रबंधन से संबंधित सप्ताह में एक क्लास की व्यवस्था हो. उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत लोगों को आपदा प्रबंधन के लिए जागरूक करना जरूरी है. आगजनी घटनाओं एवं वर्षाकाल के लिए लोगों को प्रशिक्षित करना जरूरी है. आपदा की चुनौतियों का सामना करने के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल भी कराई जाए.
बैठक में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी श्री अनिल रतूड़ी, सचिव श्री शैलेष बगोली, श्री एस. ए. मुरुगेशन, आईजी एसडीआरएफ श्री संजय गुंज्याल, एसीओ यूकेएसडीएमए श्रीमती रिधिम अग्रवाल, निदेशक आपदा प्रबंधन श्री पीयूष रोतेला आदि उपस्थित थे.