शीशपाल गुसाईं (वरिष्ठ पत्रकार )
देहरादून। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी (Chief Secretary Radha Raturi) जैसे ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और आदर्श अधिकारियों को सेवा विस्तार देना न केवल उनके उत्कृष्ट कार्यों का सम्मान है, बल्कि यह प्रशासनिक क्षेत्र को भी सुदृढ़ करता है। ऐसे अधिकारी न केवल प्रशासन में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकार का यह निर्णय सराहनीय है और यह साबित करता है कि सही कर्मठ कर्मचारियों को प्रोत्साहन देना कितना महत्वपूर्ण है। उम्मीद है कि राधा रतूड़ी जैसे अधिकारी अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे और सभी को यह संदेश मिलेगा कि सच्ची मेहनत और ईमानदारी का फल अवश्य मिलता है।
राधा रतूड़ी, एक प्रतिष्ठित सिविल सेवक हैं, जो अधिकार के महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सादगी और सौम्यता के गुणों का उदाहरण हैं। पत्रकारिता और विभिन्न प्रतिष्ठित प्रशासनिक भूमिकाओं के माध्यम से उनकी समर्पित यात्रा महिला सशक्तिकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एक अडिग अधिकारी की छवि प्रस्तुत करती है। धामी सरकार के तहत उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त, राधा रतूड़ी की विरासत न केवल उनकी नौकरशाही उपलब्धियों से बल्कि समाज में महिलाओं के मुद्दों के बारे में उनकी गहरी गंभीरता से भी परिभाषित होती है।
रतूड़ी का करियर पत्रकारिता से शुरू हुआ, जहां उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस और इंडिया टुडे जैसे उल्लेखनीय प्रकाशनों में योगदान दिया। इन शुरुआती अनुभवों ने संचार और सार्वजनिक वकालत में उनके कौशल को बढ़ावा दिया, जिससे उन्हें सामाजिक मुद्दों की बारीकियों को समझने में मदद मिली, खासकर महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों को। यह आधार उनके लिए बहुत ज़रूरी था क्योंकि 1985-1986 में वे भारतीय सूचना सेवा (IIS) में शामिल हुईं और उसके बाद 1987 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल हुईं। अपने करियर के इन सभी चरणों ने रतूड़ी को शासन, कानून प्रवर्तन और लोक प्रशासन के बारे में मूल्यवान जानकारी दी, जिसका नतीजा यह हुआ कि वे 1988 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हुईं।
10 साल तक रहीं उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी
राधा रतूड़ी एक अनुभवी अधिकारी हैं। उनके करियर में उन्होंने राज्य में दो प्रमुख जिलों की डीएम, अपर सचिव, सचिव, प्रमुख सचिव वित्त, और अपर मुख्य सचिव गृह के पदों पर कार्य किया है। इसके साथ ही, उन्होंने करीब 10 साल तक उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के तौर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका ट्रैक रिकॉर्ड उल्लेखनीय है, जिसमें बगैर स्वार्थ के, बगैर वार्ता के त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने की क्षमता चमकती है। ऐसे अधिकारियों का योगदान न केवल प्रशासनिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और विकासात्मक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण होता है। उनके जैसे समर्पित और सक्षम कर्मचारी ही किसी राज्य के सफल संचालन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
अपने शानदार करियर के दौरान, रतूड़ी उत्तराखंड में महिलाओं के सामने आने वाली असंख्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध रहीं। वे राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानती हैं और इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने लैंगिक समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों को लागू करने की कोशिश की है। उनकी नेतृत्व शैली, जो सादगी और सुलभता की विशेषता है, ने उन्हें सहकर्मियों और अधीनस्थों के बीच समान रूप से लोकप्रिय बनाया है, जिससे ऐसा माहौल बना है जहाँ अन्य लोग उनके साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने के लिए प्रोत्साहित महसूस करते हैं।
उनकी अनुकरणीय सेवा को मान्यता देते हुए, केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने रतूड़ी की सेवा को अतिरिक्त छह महीने के लिए बढ़ा दिया, जो धामी सरकार द्वारा उनके नेतृत्व में रखे गए विश्वास का प्रमाण है। यह विस्तार न केवल उनकी पेशेवर क्षमताओं को रेखांकित करता है, बल्कि उत्तराखंड राज्य में उनके योगदान के महत्व को भी समझता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यसचिव के कार्यकाल का विस्तार कराके यह संकेत दिया है कि उनकी स्थिति अभी भी मजबूत है। इससे उन आलोचकों को करारा जवाब मिला है जो यह मान रहे थे कि धामी दिल्ली और पीएमओ में कमजोर हो रहे हैं।