जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में से एक पंवाली कांठा की. एडवेंचर स्पोर्ट्स की अपार संभावनाओं से भरा पंवाली कांठा टिहरी जनपद मुख्यालय से 110 किमी की दूरी पर है और घुत्तू से 13 किमी के पैदल दूरी पर है. आजकल पंवाली कांठा की मखमली बुग्याल अपने यौवन पर है और यहां की सुरम्य वादियां बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं. आजकल जब कोरोना काल में भीड़भाड़ के क्षेत्रों में मानव जीवन बचाने के लिए पाबंदियां हैं, कई धार्मिक, पर्यटन स्थलों के लिए सरकार के खास दिशा निर्देश हैं ऐसे में पंवाली कांठा जैसे स्थल पर जाकर आप अपने शरीर की प्राण वायु के भंडार को और भी शुद्ध संचित कर सकते हैं. हाल में हिंदाव के पर्यटन और ट्रैकिंग के शौकीन 5 लोगों के युवा दल ने पंवाली घुत्तू रूट से पंवाली कांठा की ट्रेकिंग की.
इस दल में युवा श्री अजय शाह, श्री हरी गोपाल, श्री अरुण टम्टा, रितिक शाह ने इन खूबसूरत वादियों का नजारा देख और यहां की खूबसूरत तस्वीरें शेयर की. अजय शाह बताते हैं कि पंवाली कांठा सच में धरती का स्वर्ग है और यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. एक बार प्रकृति की गोद में पंवाली पहुंचने पर फिर वापस आने को मन नहीं करता. अजय शाह ने कहा कि दुनिया को हम किसी स्थल की ओर तब ही आकर्षित करा सकते हैं, जब उस क्षेत्र के लोग खुद उस स्थल की यात्रा, प्रचार प्रसार करें. अजय शाह ने कहा कि हमारे उत्तराखंड में प्रत्येक क्षेत्र में ऐसे सुरम्य स्थल हैं, जिनके प्रचार प्रसार से यहां आजीविका के नए साधन तैयार किए जा सकते हैं, लेकिन इन स्थलों को पहले स्थानीय लोगों को ही प्रचार प्रसार कर लोगों के ध्यान में लाना होगा. पंवाली जैसे पर्यटक स्थल इतना खूबसूरत हैं कि यहां घुत्तू से लेकर पंवाली तक रोजगार के नए स्रोत बन सकते हैं.
आप भी जानें पंवाली कांठा
यह टिहरी जिले में स्थित सर्वश्रेष्ठ ट्रेक में एक है. यहाँ गढ़वाल हिमालय के उच्च ऊंचाई वाले घास के मैदान (बुग्याल) हैं, जिनमे विभिन्न प्रकार के आकर्षक फूल, जड़ी बूटी बहुतायत में पाई जाती हैं. अप्रैल और मई के महीने में यह स्थान लाल और गुलाबी रोड़ोडेन्ड्रोस (हीथर परिवार की झाड़ी या छोटे पौधे जो घंटी के आकार के फूलों के गुच्छों को और आमतौर पर बड़ी पत्तियों को साथ लिए होते हैं ) से सदाबहार रहता है.
यहाँ से हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दर्शनों के साथ-साथ यमुनोत्री-गंगोत्री-केदारनाथ-बदरीनाथ पर्वत शिखरों के दर्शन भी होते हैं. हिमपात के समय बर्फ से ढकी थलय सागर, मेरु, कीर्ति स्तम्भ, चोखंभा, नीलकंठ आदि पहाड़ियों के मनोरम दृश्य को यहाँ से देखा जा सकता है. पर्यटकों के बीच पंवाली काँठा से सूर्यास्त देखने का एक विशेष आकर्षण रहता है.
यह ट्रेक गंगोत्री से केदारनाथ के प्राचीन धार्मिक मार्ग पर पड़ता है. ट्रेकर्स यहाँ बसे दूरस्थ गाँवों से गुजरते हैं जहाँ वे वास्तविक गढ़वाल के जीवन को देख पाते हैं. ट्रेक में जगह-जगह चरवाहे दिखाई देते हैं जो शिवालिक रेंज और हिमालय के बीच निवास करते हैं. बारिश और साफ़ आसमान को देखते हुए शरद ऋतु पंवाली काँठा ट्रेक पर जाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय है. इस समय हिमालय पर्वत और रंगीन जंगली फूलों से सजे हरे घास के बुग्याल जीवंत नजर आते हैं.
यह ट्रेक घुत्तु नामक स्थान से प्रारम्भ करके सोनप्रयाग / त्रियुगी नारायण तक पूरा किया जाता है. त्रियुगी नारायण में स्थित शिव मंदिर का हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है. ऐसा माना जाता हैं कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु की उपस्थिति में शिव पार्वती का विवाह हुआ था.
इस ट्रेक को घुत्तु से आगे उत्तरकाशी के लाटा नामक स्थान तक जाने हेतु भी प्रयोग किया जाता है. प्राकृतिक परिदृश्यों एवं अपेक्षाकृत कम ऊंचाई होने के कारण यह एक सुखद ट्रेक साबित होता है. उत्तरी गढ़वाल हिमालय में स्थित पंवाली काँठा के घास के मैदान कई जंगली जानवरों का घर है. भाग्य साथ दे तो आप यहाँ भरल (नीली भेड़) घोर, हिमालयी भालू, दुर्लभ कस्तूरी मृग आदि को देख सकते हैं.
- जनपद टिहरी
- समुद्रतल से ऊंचाई पंवाली कांठा 11500 फीट
- पंवाली कांठा में एडवेंचर स्पोर्ट्स की अपार संभावनाएं हैं.
- निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट से दूरी लगभग 177 किलोमीटर
- निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश दूरी लगभग 167 किलोमीटर है
- जिला मुख्यालय टिहरी से घुत्तू तक 90 किमी की
- घुत्तू से 13 किमी ट्रैकिंग रूट