घनसाली. टिहरी गढ़वाल के भिलंगना विकासखंड के भिलंग पट्टी में नंदा भगवती का विशाल यज्ञ आयोजन होने जा रहा है. क्षेत्र के समाजसेवी व युवा नेता श्री नित्यानंद कोठियाल ने बताया कि 7 फरवरी से 17 फरवरी तक मां भगवती का यज्ञ चार वेद एवं दो पुराणों का आयोजन मां भगवती के मूल स्थान बजिंगा में किया जा रहा है.
भिलंग पट्टी के 22 गांव करते हैं यह आयोजन
मान्यता के अनुसार कई सदियों से ही भिलंग पट्टी के 22 गांव (मलेथा से पोखार के मध्य) के समस्त लोग हर 12 वर्ष में मां भगवती का विशाल यज्ञ आयोजन करते हैं. इस आयोजन में मां भगवती की डोली यज्ञ से 6 माह पूर्व अपने मूल स्थान बजिंगा से 6 माह के लिए ग्राम सभा सांकरी में प्रवास करती है एवं छह माह वहां रहने के पश्चात मकर संक्रांति से 4 दिन पूर्व अपने मूल स्थान बजिंगा में आती है तथा मकर संक्रांति के दिन से ही अपने 22 गांव में भ्रमण करती है. समस्त घरों में जाकर भक्त मां नंदा भगवती का स्वागत करते हैं.
1 फरवरी को पूरा होगा 22 गांवों का भ्रमण
इस वर्ष भी मां भगवती 15 जनवरी से 1 फरवरी तक 22 गांव में भ्रमण कर रही हैं, जिसके लिए भक्तजन देश विदेश से माता का आशीर्वाद प्राप्त करने अपने-अपने घर आ रहे हैं. माता की इस यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु माता के साथ यात्रा कर रहे हैं. इस अवसर पर नित्यानंद कोठियाल ने बताया कि यह नन्दा देवी की एक धार्मिक यात्रा है. यह उत्तराखंड के कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है.
प्रत्येक 12 वर्ष में होता है मां भगवती का विशाल यज्ञ
यह यज्ञ लगभग 12 वर्षों के बाद आयोजित होती है. लोक इतिहास के अनुसार नन्दा भगवती गढ़वाल के राजाओं के साथ-साथ कुँमाऊ के कत्युरी राजवंश की ईष्टदेवी थी. इष्टदेवी होने के कारण नन्दादेवी को राजराजेश्वरी कहकर सम्बोधित किया जाता है. नन्दादेवी को पार्वती की बहन के रूप में देखा जाता है तो कहीं-कहीं नन्दादेवी को ही पार्वती का रूप माना गया है. पूरे उत्तराखण्ड में समान रूप से पूजे जाने के कारण नन्दादेवी के समस्त प्रदेश में धार्मिक एकता के सूत्र के रूप में देखा गया है. साथ ही गढ़वाल के परंपरागत नन्दा जागरी (नन्दादेवी की गाथा गाने वाले) भी इस यात्रा की कहानी को बयाँ करते हैं.
बजिंगा गांव में हैं मां नंदा का निवास स्थान
दुर्गम पहाड़ी पैदल मार्ग को तय करने हेतु मां नंदा अपने निवास स्थान टिहरी गढ़वाल के बजिंगा गांव से यात्रा शुरू करके पूरे 22 गांव का भ्रमण करती है. उसके उपरांत एक महा यज्ञ का आयोजन होता है, जिसमें 22 गांव के लोग श्रद्धा अनुसार अपना सहयोग देकर इस यात्रा को संपन्न करते हैं. मां भगवती का सदैव अपने भक्तों पर आशीर्वाद बना रहता है.
प्रदेशों से अपने गांव लौट आते हैं लोग
12 वर्ष बाद ही इस यज्ञ का आयोजन होता है तो सभी युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति एवं धरोहर के बारे में सीखने को मिलता है एवं इस आयोजन के दौरान हमने देखा जो गांव पूरी तरह से खाली हो गए थे उनके कई प्रवासी दो-चार दिन के लिए ही सही पर अपने गांव वापस आते हैं एवं सभी एक दूसरे के संग मिलकर मां भगवती का अपने घर गांव में स्वागत करते हैं एवं इस वर्ष भी पूर्व की भांति 7 फरवरी से 17 फरवरी तक मां भगवती का यज्ञ चार वेद एवं दो पुराणों का आयोजन मां भगवती के मूल स्थान बजिंगा में किया जा रहा है समस्त भक्तजनों से निवेदन है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करें.