नवी मुंबई. वैश्विक महामारी कोरोना के प्रभाव ने पिछले कई महीनों से दुनिया की रफ्तार थमी हुई है. हमारे देश में भी कोरोना को रोकने के लिए सरकार ने मार्च के अंतिम सप्ताह से लाकडाउन किया. इस लाकडाउन के कोरोना काल को प्रत्येक व्यक्ति ने अपने अंदाज में जिया. इस दौरान सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के मोर्चे पर डटी हुई है, तो देश के समाजसेवी, गीतकार, संगीतकार भी अपनी भूमिका निभाने में पीछे नहीं रहे हैं. आम जनता ने भी सरकार के निर्देशों का पालन कर कोरोना काल में अपने को घरों में बंद रह कर भी एक जिम्मेदार नागरिक का परिचय दिया.
इस दौरान गीत संगीत के जरिए लाकडाउन के समय एक अनूठी पहल की है उत्तराखंड के लोकप्रिय गायक सुरेश काला ने. कबीर के दोहों को अपने musical band FOLKKALVOCAL के माध्यम से गीत संगीत में ढाल कर प्रस्तुतियां देने के अभियान में जुटे गायक सुरेश काला ने घर की बंद आलमारियों में पड़ी अपने ही राज्य के कई प्रसिद्ध लोक साहित्यकारों की पुस्तकें खंगाली और इन गढ़वाली, कुमाऊंनी, हिंदी रचनाओं में अपनी मधुर आवाज के सुर भर दिए.
गायक सुरेश काला जी ने सबसे पहले लोक कवि और साहित्यकार स्व. पूर्ण मनराल जी की लिखी रचना उत्तराखंड की माटी…को आवाज दी और संगीत के साथ सुरों से सजा दिया. सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सुरेश काला जी की यह रचना लोगों ने बहुत पसंद की और फिर एक के बाद एक सुंदर रचनाओं का सिलसिला ही शुरू हो गया.
गढ़वाली, कुमाऊंनी, हिंदी की काव्य रचनाओं को आवाज देने के इस संगीतमय सफर में काला जी ने वयोवृद्ध कवि व साहित्यकार श्री भुवनेंद्र बिष्ट जी की एक खूबसूरत रचना- न आयेगा सावन…, राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार डा. श्री राजेश्वर उनियाल जी की काव्य रचना- देखा इक अति सुन्दर सपना…, वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार श्री हरि मृदुल जी की- सरग भरि तारा…., श्री राकेश पुण्डीर जी की रचना- फूल सी गैल्याणी…, श्री भीमसिंह राठौर जी रचना- जै जै शुभ्र हिमाल…जैसी काव्य रचनाओं को पेशकर उत्तराखंडी दर्शकों और साहित्यकारों की खूब सराहना बटोरी.
केन्द्रीय मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक जी ने की तारीफ
इसी कड़ी में गायक सुरेश काला जी ने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक जी के रचना संसार से एक सुंदर काव्य रचना… आ अब लौट चलें… को भी अपना मधुर स्वर देकर संगीतबद्ध किया. इस रचना को सुनकर केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक जी ने सुरेश काला जी को धन्यवाद देते हुए लिखा है कि श्री सुरेश काला जी ने मेरी रचना आ अब लौट चलें…की संगीतमय प्रस्तुति देकर मेरे इस गीत को जीवन्त कर दिया है, मेरा उन्हें प्रणाम. केंद्रीय मंत्री जी के इस आशीर्वाद पर पर सुरेश काला जी ने मंत्री महोदय का आभार प्रकट किया है. साथ ही केंद्रीय मंत्री डा. निशंक जी के संज्ञान में यह बात लाने के लिए सुरेश काला जी ने डा. राजेश्वर उनियाल जी का भी आभार प्रकट किया है.
आज उत्तराखंड के मुंबई प्रवासी गायक मित्रवर श्री सुरेश काला जी ने मेरी प्रथम काव्यकृति शैलसागर की प्रारंभिक पंक्तियों को संगीतबद्ध कर व अपने मधुर कंठ से गाकर मुझे अनमोल उपहार दिया है, मैं इस हेतु उन्हें हृदय से धन्यवाद देता हूं.
-डा. राजेश्वर उनियाल
उल्लेखनीय है कि गायक सुरेश काला जी मुंबई में रहते हुए उत्तराखंड के लोक संगीत को उत्तराखंडी मंचों के साथ साथ NSPA Mumbai (NGO) के माध्यम से उत्तराखंडी गीत संगीत को नुक्कड़ सभाओं के द्वारा अन्य दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं. साथ ही कबीर के दोहे भी संगीतमय प्रस्तुतियों के जरिए अलग अलग मंचों में पेश कर रहे हैं. काला जी मूल रूप से उत्तराखंड के ग्राम सुरांश-सांकरी, पट्टी नैलचामी, जनपद टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं. काला जी का जन्म देहरादून व शिक्षा भी देहरादून में हुई है.