दिल्ली. 8 फरवरी को हो रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे वैसे सभी राजनीतिक दल यहां अन्य प्रांतों के मतदाओं को लेकर भी रणनीति बना कर उन्हें अपने पक्ष में करने जुटे हुए हैं.
कुल मिलाकर दिल्ली विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड के मूल निवासियों की भूमिका अहम बनी हुई है. जानकारों का मानना है कि दिल्ली की करीब 30 सीटों पर उत्तराखंड के वोटर हार जीत का पाशा पलटने की क्षमता रखते हैं. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता कुलदीप कुमार ने बताया कि करावल नगर, बुराड़ी, पापड़गंज और पालम सहित करीब 30 सीटों पर उत्तराखंड के मूल निवासी प्रभावी भूमिका में हैं.
कुलदीप कुमार ने बताया कि दिल्ली की 70 सीटों पर उत्तराखंड मूल के मतदाताओं की संख्या काफी है और लगभग 15 सीटों पर उत्तराखंडी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. कुलदीप कुमार ने कहा कि दिल्ली की करीब 30 सीटों पर जीत-हार तय करने की चाबी उत्तराखंडी मतदाताओं के हाथ है. वे बताते हैं कि इस चुनाव में भी पूर्वांचल मूल के बाद उत्तराखंड के मतदाताओं की संख्या दिल्ली की राजनीति को आगे की दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित होगी.
कुलदीप कुमार ने कहा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां उत्तराखंडी मतदाताओं को लुभाने में जुटी हैं और चुनाव से पहले ही केजरीवाल सरकार ने गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी भाषा अकादमी बनाकर भी उत्तराखंडी लोगों के दिल जीतने के प्रयास किए हैं. वहीं भाजपा ने भी कुछ क्षेत्रों में उत्तराखंडी कंडीडेट मैदान में उतारकर उत्तराखंडी मतदाताओं को अपनी ओर मोड़ने के प्रयास किए हैं.