घाटकोपर. प्रवासी उत्तराखंडियों की सबसे पुरानी सामाजिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्था हिमालय पर्वतीय संघ के प. गोविंद बल्लभ पंत विद्यालय, घाटकोपर के प्रांगण में 8 जनवरी को शोभायात्रा के साथ से शुरू हुई श्रीमद भागवत कथा का समापन मकर संक्रांति पर यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ हुआ. समापन अवसर पर महायज्ञ में सैकड़ों लोगों ने आहूति डाल कर सुख शांति की कामना की.
घाटकोपर में श्रीमद भागवत कथा के समापन के अवसर पर यज्ञोपवीत संस्कार आयोजित किया गया, जिसमें सौ से भी ज्यादा लोगों ने जनेऊ धारण किए. सनातन संस्कृति में 16 संस्कारों में यज्ञोपवीत संस्कार को भी अहम माना गया है और यज्ञोपवीत संस्कार विवाह से पहले युवाओं के लिए आवश्यक माना गया है.
हिमालय पर्वतीय संघ के वरिष्ठ सदस्य और पत्रकार श्री रमेश जुयाल ने बताया कि मुंबई में हिमालय पर्वतीय संघ की भागवत कथा के समापन अवसर पर हर साल यहां यज्ञोवीत संस्कार आयोजित करता है, जिसमें सैकड़ों बटुकों को जनेऊ पहनाया जाता है. घाटकोपर में भागवत कथा का आयोजन विगत 24 सालों से प्रत्येक वर्ष किया जा रहा है, पिछले कोरोना काल में 2 साल यह आयोजन भी ठहर गया. इस बार संस्था ने फिर 8 जनवरी को भव्य रूप से यह आयोजन किया, जिसमें व्यासपीठ से आचार्य पंडित प्रकाश चन्द्र पाण्डे के मुखार बिन्दु से हजारों सनातनधर्मियों ने भागवत कथा सुनी.
हिमालय पर्वतीय संघ के महासचिव नवीन चंद्र भट्ट ने बताया कि सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए संस्था का यह धार्मिक आयोजन में बड़ी संख्या में स्थानीय व उत्तराखंडी समाजसेवी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए. संस्था के अध्यक्ष जगदीश पंत ने सभी का स्वागत कर आभार जताया. भागवत कथा के आयोजन में विशेष सहयोग के लिए राजू दादा पाखरे, महेश भट्ट, हयात सिंह राजपूत, बाला दत्त शर्मा, मीनाक्षी भट्ट ने सहयोग किया. कथा स्थल पर रोज भव्य भंडारे का आयोजन भी किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने महाप्रसाद का लाभ लिया.