नई टिहरी. प्रदेश सरकार की ओर से 15वें वित्त की धनराशि में जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के बजट में कटौती करने पर पंचायत प्रतिनिधियों ने गहरा आक्रोश जताया है. बीते दिन राज्य कैबिनेट ने 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों को किनारा कर बजट में कटौती की गई है. संबंधित प्रतिनिधियों ने बजट में कटौती का प्रस्ताव वापस न लेने पर आंदोलन शुरू करने और निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
जिला पंचायत सदस्य संगठन, ब्लॉक प्रमुखों ने सरकार की ओर से 15वें वित्त की धनराशि में कटौती करने का विरोध किया है. जिला पंचायत सदस्य संगठन के जिलाध्यक्ष जयवीर रावत, ब्लॉक प्रमुख प्रतापनगर प्रदीप रमोला, जिला पंचायत सदस्य अमेंद्र बिष्ट ने कहा कि केंद्रीय वित्त आयोग ने 35-35 प्रतिशत ग्राम पंचायत और जिला पंचायत और शेष 30 फीसदी धनराशि क्षेत्र पंचायतों को देने की संस्तुति की थी. लेकिन राज्य की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने केंद्र के फैसले की किनारा कर 15 फीसदी जिला पंचायत और महज 10 फीसदी क्षेत्र पंचायत को ही देने का निर्णय लिया है. ग्राम पंचायतों को पहले ही मनरेगा, राज्य वित्त से लेकर 14वें और अब 15वें वित्त की भी 75 फीसदी धनराशि देने का निर्णय लेकर क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत को कमजोर दिया है.
एक निजी बैंक में 15वें वित्त का खाता खुलवाने त्रिस्तरीय पंचायतों को किया जा रहा मजबूर
प्रतिनिधियों ने कहा कि यही नहीं प्रदेश के पंचायत राज निदेशक एक निजी बैंक में ही 15वें वित्त का खाता खुलवाने के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों को मजबूर कर रहे हैं. उक्त बैंक की जिले में केवल एक ही शाखा है. ऐसे में ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर पर बैंकिग सेवा कैसे दी जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि निदेशक की उक्त निजी बैंक के साथ सांठगांठ प्रतीत होती है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं को जिला सहकारी बैंक क्रियान्वित करता है. अच्छा होता कि सरकार पंचायतों का धनराशि सहाकरी बैंक को देती. उन्होंने कहा कि फैसले का कड़ा विरोध किया जाएगा. बजट कटौती पर जाखणीधार की ब्लॉक सुनीता देवी, भिलंगना बसुमति घणाता, चंबा शिवानी बिष्ट, देवप्रयाग सूरज पाठक आदि ने भी नाराजगी जताई है. उन्होंने धनराशि में की गई कटौती को वापस लेने और प्राइवेट बैंक में वित्त का खाता खोलने के लिए मजबूर न करने की मांग की. कहा कि यदि सरकार ने जल्द इस पर निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन शुरू किया जाएगा.