देहरादून. पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत आखिरकार अपने पुराने घर लौट आए. कांग्रेस की हरकसिंह रावत को पार्टी में शामिल करने को लेकर जनता को दिखावे के लिए भले अंदरखाने पहले नानुकुर देखी गई हो, लेकिन राज्य में सत्तावापसी के लिए ‘मौसम विज्ञानी’ माने जाने वाले हरकसिंह रावत को ठुकरा कर काई राजनीतिक पार्टी सत्ता का सपना कैसे छोड़ सकती थी.
हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं कल कांग्रेस में शामिल होने के साथ पिछले दिनों से चले राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप हो गया. उत्तराखंड में माना जाता है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत चुनाव से पहले जिधर सरकते हैं, सत्ता वहीं सरकती है. जिस पार्टी से नाता जोड़ते हैं, उसी की सरकार बन जाती हैं. हरकसिंह रावत की वापसी के बाद यह तो 10 मार्च के परिणाम बताएंगे कि यह बात इस बार भी सच होगी या नहीं.
राजनीतिक दलों का सत्ता हासिल करने का मोह और हरकसिंह रावत को अपनी पार्टी में जोड़ना मजबूरी भी है. उत्तर प्रदेश से राजनीतिक आगाज करने वाले हरक सिंह अपने तीन दशक के राजनीतिक सफर में बसपा से लेकर भाजपा और कांग्रेस तक सभी पार्टियों में रह चुके हैं.
जानें हरकसिंह रावत जी का राजनीतिक सफर
- 1991 में पौडी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने
- तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री
- वर्ष 1993 का चुनाव पौडी से जीते
- वर्ष 1996 में भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल
- 1998 में बसपा के टिकट पर वह पौडी सीट से हारे, तो कांग्रेस का दामन थामा
- उत्तराखंड बनने के बाद 2002 में उन्होंने लैंसडौन से जीत दर्ज की और नारायण दत्त तिवारी की सरकार में कैबिनेट मंत्री
- 2007 में लैंसडौन से जीत मिली, पांच साल नेता प्रतिपक्ष
- 2012 के विधानसभा चुनाव में रूद्रप्रयाग सीट से जीत
- पहले विजय बहुगुणा और फिर हरीश रावत के नेतृत्व में बनी सरकार में कैबिनेट मंत्री
- मार्च 2016 में नौ अन्य विधायकों के साथ रावत सरकार से बगावत और भाजपा में शामिल
- 2017 का चुनाव भाजपा के टिकट पर कोटद्वार से लड़ा और वहां से भी विजयी होकर पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत और फिर पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री
- 2022 के चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ने हरक को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया और कांग्रेस की मुराद पूरी कर दी.
- 21 जनवरी 2022 कांग्रेस में शामिल