नवी मुंबई. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी जी की टोपी के बारे में की गई गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी का आरएसएस की स्वयंसेवी, शिक्षिका, समाजसेवी श्रीमती सुधा गौड़ ने कड़ा ऐतराज जताया है. श्रीमती सुधा गौड़ ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि सचिन सावंत ने जिस तरह राज्यपाल की टोपी के बारे में टिप्पणी की है वह टोपी के महत्व के बारे में उनकी अज्ञानता का सूचक है.
डीपीएस की शिक्षिका सुधा गौड़ ने कहा कि सचिन सावंत को टोपी के महत्व के बारे में ज्ञान होता तो वह ऐसी टिप्पणी नहीं करते. उन्होंने कहा कि टोपी उत्तराखंड ही नहीं देश की शान है और सेना से लेकर आम शुभ कार्यों या भारतीय 16 संस्कारों में टोपी का खास स्थान है. शिक्षिका सुधा गौड़ ने कहा कि उत्तराखंड के हर परिवार से लोग सेना में जाकर देश की सीमाओं की रक्षा टोपी पहन कर ही करते हैं और जब कोई जवान वीरगति को प्राप्त होता है, उस जवान की टोपी को पूतनीय प्रतीक के रूप में रखा जाता है.
श्रीमती गौड़ ने कहा कि भारतीय संस्कृति में टोपी उत्तराखंड ही नहीं महाराष्ट्र में भी बहुत अहम स्थान रखती है और शायद कांग्रेस प्रवक्ता को यह ज्ञान नहीं है कि महामहिम राज्यपाल श्री कोश्यारी जी ने अपने जीवन की शुरुआत ही भारतीय संस्कारों की बुनियाद को सुदृढ़ करने वाले शिक्षा संस्थान सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना कर ही की है. जहां भारतीय संस्कारों के साथ ही भारतीय संस्कृति के संरक्षण की पताका आज भी बुलंद की जा रही है.
श्रीमती गौड़ ने कहा कि राज्यपाल जी की टोपी के खिलाफ की गई यह टिप्पणी अपमानजनक है और प्रवासी संस्थाओं से भी इस बारे में मुखर न होने पर नाराजगी जताई है. श्रीमती सुधा गौड़ ने कहा कि जब से राज्यपाल मुंबई आए कई लोगों, प्रवासी संस्थाओं द्वारा राज्यपाल जी के साथ फोटो खिंचाने, उन तस्वीरों को अपनी डीपी बनाने, सोशल मीडिया में डालने की होड़ लगी थी, लेकिन जब राज्यपाल जी के खिलाफ ऐसी टिप्पणी हुई तो फिर उन लोगों की तरफ से कोई प्रतिक्रया नहीं आई. उल्लेखनीय है कि श्रीमती सुधा गौड़ जी मूल रूप से कोटद्वार की हैं और शिशु मंदिर में भी शिक्षिका के रूप में कार्य कर चुकी हैं और वर्तमान में डीपीएस में शिक्षिका के पद हैं. उत्तराखंड की संस्कृति के प्रति बेहद लगाव रखने वाली श्रीमती सुधा गौड़ जी सोशल मीडिया के जरिए पहाड़ की संस्कृति, खानपान और सामाजिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखती हैं.