नारियों को न सुविधायें चाहिये, न संरक्षण चाहिये उन्हें बंधन मुक्त और मर्यादा युक्त जीवन चाहिये
-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
ऋषिकेश. परमार्थ परिवार के सदस्यों और परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सोशल डिस्टेंसिंग का गंभीरता से पालन करते हुये श्री राधा जी का प्राकट्य दिवस मनाया.
आज महिला समानता दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि पूरे विश्व में महिलाओं की आधी आबादी है और महिला समानता अर्थात वैश्विक जनसंख्या की आधी आबादी की समानता परन्तु आज भी भारत सहित अन्य देश में लैंगिक असमानता व्याप्त है. यह वह ऐसी खाई है जिसे भरना बहुत जरूरी है, क्योंकि महिला और पुरुष दोनों भी समाज की आधारभूत इकाई है. जब दोनों शिक्षित होंगे तभी राष्ट्र का समग्र विकास हो सकता है. हमारे देश में लैंगिक भेदभाव की जड़ें, जितनी मजबूत और गहरी होंगी, हमारे विकास की दर उतनी ही धीमी होगी. जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं तो हमें अपनी आधी आबादी को शिक्षित होने के अवसर देना होगा.
नारियों को भी बराबरी का अधिकार मिले
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि क्या आपने कभी अपने आस-पास या पड़ोस में बेटी के जन्म के अवसर पर उत्सव मनाते देखा है? शायद ही देखा होगा या बहुत ही कम. अतः हमें इस प्रवृति को बदलना होगा. हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और हम भारतीय 21वीं सदी के नागरिक होने पर गर्व करते हैं परन्तु बेटा पैदा होने पर खुशी का जश्न मनाते हैं और अगर बेटी का जन्म हो जाए तो शांत हो जाते हैं. हमारा समाज आज भी महिलाओं को एक जिम्मेदारी समझता है और कई स्थानों पर महिलाओं पर इतने बंधन लगाये जाते हैं कि उनके व्यक्तित्व का पूर्ण रूप से विकास ही नहीं हो पाता है इसलिये आज का दिन हमें याद दिलाता है कि नारियों को भी बराबरी का अधिकार मिलना चाहिये; उन्हें भी शिक्षा, स्वतंत्रता और व्यक्तित्व विकास का पूरा अवसर मिले. नारियों को न सुविधायें चाहिये, न संरक्षण चाहिये उन्हें बस बंधन मुक्त जीवन चाहिये.
राधा जी त्याग, प्रेम और समर्पण का प्रतीक
भाद्रपद माह की शुल्क पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी मनायी जाती है. इस दिन राधा जी का प्राकट्य हुआ था. वेदों में राधा जी का गुणगान कृष्ण वल्लभा के नाम से किया गया है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में श्री राधा जी के जन्म से जुड़ी कथा मिलती है. साथ ही अनेक धार्मिक ग्रंथों में और पौराणिक कथाओं में राधा जी के जन्म का उल्लेख मिलता है.
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि श्री राधा जी त्याग, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. उन्होने अपने आप को मन, वचन, कर्म और बुद्धि से पूर्णरूपेण अपने ईष्ट को समर्पित कर दिया, जिससे उनका जीवन श्री कृष्ण मय हो गया था. राधा जी ने बिना किसी तर्क और संदेह के पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ स्वयं को श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया था उसी का परिणाम है कि भगवान श्री कृष्ण के नाम के पहले श्री राधा जी का नाम लिया जाता है. उन्होने कहा कि समर्पण भाव को जागृत करने के लिये श्रद्धा का होना नितांत आवश्यक है. जहां श्रद्धा होती है प्रेम अपने आप आ जाता है, स्वयमेव प्रादूर्भूत हो जाता है.
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आज के समय में आपसी रिश्तों में प्रेम, समर्पण और विश्वास की कमी के कारण परिवार बिखरते जा रहे हैं. किसी भी रिश्तों में समर्पण का होना आवश्यक है क्योंकि समर्पण मनुष्य को पूर्णता की ओर ले जाता है. श्री राधा जी का भगवान कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण ही था कि वह श्री कृष्णमय हो गयी. उन्होने कहा कि समर्पण चाहे अपने ईष्ट के प्रति हो, अपने रिश्ते के प्रति हो; अपने कार्य के प्रति हो या फिर अपनी जवाबदारियों के प्रति हो परन्तु स्वभाव में समर्पण होना जरूरी है क्योंकि समर्पण में ही पूर्णता है.
सोशल डिस्टेंसिग का गंभीरता से पालन करें
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में जब चारों ओर कोविड-19 का खतरा बढ़ रहा है ऐसे में हमारे कोरोना वाॅरियर्स का समर्पण ही है कि वे दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. हमारे कोरोना वाॅरियर्स अपनी व अपने परिवार की चिंता न करते हुये अपने देशवासियों की सेवा में तैनात हैं. पूज्य स्वामी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि सोशल डिसंटेंसिग का गंभीरता से पालन करें क्योंकि कोरोना का खतरा अभी भी चारों ओर मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि जान है तो जहान है. आप अपने आप में एक व्यक्ति हैं परन्तु अपने परिवार के लिये आप पूरी दुनिया हैं इसलिये जितना हो सके घरों में रहें और सुरक्षित रहें. आज राधाष्टमी के पावन अवसर पर परमार्थ गुरूकुल के आचार्यो एवं ऋषिकुमारों ने भगवान श्री कृष्ण के मधुर भजन गाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया.