उत्तरकाशी. अपने विभिन्न जन जागरण अभियानों के लिए उत्तराखंड पुलिस विभिन्न आकर्षक और सम सामयिक चलन के स्लोगन आदि का इस्तेमाल कर लोगों को जनजागरुक करने के लिए हमेशा अग्रणी रही है. बात जब सीमांत जनपद उत्तरकाशी की करें तो यहां उत्तरकाशी पुलिस द्वारा जन जागरूकता के अभियान को लोकप्रिय बनाने के लिए अनेक बार उनके कई स्लोगन लोगों को आकर्षित करते रहे हैं.
उत्तरकाशी पुलिस द्वारा पिछले कोरोना काल में लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए गढ़वाली में लिखे सूचना फलकों की जहां खूब तारीफ हुई, वहीं लोग रुक कर इन फलकों की तस्वीर अपने मोबाइल में कैद कर सोशल मीडया पर डालकर इस कदम की सराहना करते देखे गए.

अब हाल ही में उत्तरकाशी पुलिस ने हेल्मेट और यातायात नियमों के बारे में जनजागरूकता फैलाने के लिए उत्तराखंड में हाल ही में रिलीज हुए उत्तराखंड के मशहूर लोक गीतकार श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी के गीत ”स्याली रामदेई” (Syali Ramdei) का उल्लेख कर लोगों को हेल्मेट पहने के लिए जागरूक किया है. उत्तरकाशी पुलिस (Uttarkashi Police) ने स्याली रामदेई के एक स्क्रीन शॉट को शेयर कर संदेश लिखा है- स्याली रामदेई कु जुर्मानु त माफ ह्वे जालु पर अगर यातायात निमयों कु उल्लंघन करी त, फिर न भई न….
पुलिस की इस पोस्ट को काफी लोगों ने पसंद किया है. पुलिस द्वारा कहा गया है कि कृपया यातायात नियमों का पालन अवश्य करें, केवल चालान के डर से ही नहीं, बल्कि अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए यातायात नियमों का पालन कर एक जम्मेदार नागरिक बनें.
बता दें कि उत्तराखंड के मशहूर गीतकार श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी का नया गीत ”स्याली रामदेई” हाल ही में 16 जुलाई को यूटयूब पर जारी हुआ है.
उत्तराखंड के जनजीवन से जुड़े इस गीत को 1,630,852 बार (28 जुलाई 2022 खबर लिखे जाने तक) देखा जा चुका है. नरेंद्र सिंह नेगी एवं अंजली खरे के मधुर स्वर में गाए गए गीत स्याली रामदेइ के निर्माता कमल जोशी हैं और रिदम- सुभाष पाण्डे का है तो अभिनय बृजमोहन शर्मा व अंजली नेगी ने किया है. इसके निर्देशक कबिलास नेगी हैं.
गीत इन दिनों देश और दुनिया में रहने वाले श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी के सुनने और पसंद करने वालों की जुबां हिट है. यह संयोग ही कहें कि नेगी जी का यह गीत ऐसे दौर में आया है जब 14 जुलाई को चमोली की हेलंग घाटी में घास ले जाती दो महिलाओं से सीआईएसएफ और पुलिस जवानों की झड़प हुई थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ.
ये घटना न केवल उत्तराखंड, बल्कि देश विदेश में रह रहे उत्तराखंड के लोगों तक पहुंची तो सभी ने अपने अपने स्तर से इसका विरोध किया. यह विवाद राज्य में सुर्खियों में रहा और पहाड़ के जल जंगलों पर स्थानीय निवासियों के हक हकूकों को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हुई है. घटना के बाद 16 जुलाई को आए इस गीत को मिली सफलता के लिए यह भी एक कारक माना जा रहा है. उत्तरकाशी पुलिस ने भी आम लोगों की जुबां पर लोकप्रिय हो रहे इस गीत के शीर्षक को जनजागरण और लोगों की सुरक्षा के लिये बखूबी इस्तेमाल किया है।