देहरादून. कल सोमवार को भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन द्वारा डीएवी पीजी कॉलेज में केन्द्र सरकार के खिलाफ धरना दिया एवं राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया गया. इस अवसर में विकास नेगी ने राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में बताया कि लॉकडाऊन के पिछले तीन माह के दौरान पेट्रोल व डीज़ल पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क और कीमतों में बार-बार की गई अनुचित बढ़ोत्तरी ने भारत के नागरिकों को असीम पीड़ा व परेशानियां दी हैं. भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने जारी प्रेस नोट में कहा कि जहां एक तरफ देश स्वास्थ्य व आर्थिक महामारी से लड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार पेट्रोल व डीजल की कीमतों और उस पर लगने वाले उत्पाद शुल्क को बार-बार बढ़ाकर इस मुश्किल वक्त में मुनाफाखोरी कर रही है.
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन व अपने प्रेस नोट में निम्नलिखित तथ्य भी रखे हैं.
- मई , 2014 में ( जब भाजपा ने सत्ता संभाली थी ), पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रु . प्रति लीटर एवं डीजल पर 3.46 रु. प्रति लीटर था. पिछले छः सालों में केंद्र की भाजपा सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 23.78 रु. प्रति लीटर एवं डीजल पर 28.37 रु. प्रति लीटर की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी कर दी है.
- केवल पेट्रोल व डीज़ल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में बार-बार वृद्धि करके सरकार ने पिछले छः सालों में 18,00,000 करोड़ रु. कमा लिए.
- तीन माह पहले लॉकडाऊन लगाए जाने के बाद पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क को बार-बार बढाकर तो मुनाफाखोरी और जबरन वसूली की सभी हदें पार कर दी गई.
- 5 मार्च , 2020 को पेट्रोल व डीजल के मूल्य में 3 रु. प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गई. 5 मई, 2020 को केंद्र सरकार ने डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में 13 रु. प्रति लीटर और पेट्रोल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में 10 रु. प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की.
- 6 जून, 2020 से लेकर 29 जून , 2020 तक निष्ठुर मोदी सरकार ने 22 दिनों तक पेट्रोल व डीज़ल के मूल्य लगातार बढ़ाए, जिससे डीजल का मूल्य 8.48 रु. प्रति लीटर एवं पेट्रोल का मूल्य 6.99 रु. प्रति लीटर बढ़ गया.
- पिछले साढ़े तीन महीनों में भाजपा सरकार ने डीजल पर मूल्य और उत्पाद शुल्क 26.48 रु. प्रति लीटर व पेट्रोल पर 21.50 रु. प्रति लीटर बढ़ा दिया. एक सरकार द्वारा देश के नागरिकों का इससे ज्यादा शोषण और क्या हो सकता है ?
- देश के नागरिकों से छल करने और उनकी गाढ़ी कमाई की जबरन वसूली का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल के भाव कम हुए हैं.
24 जून , 2020 को कच्चे तेल का अंतर्राष्ट्रीय भाव 43.41 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल था, जो डॉलर – रुपए भाव के अनुसार 3288.71 पए प्रति बैरल बनता है . एक बैरल में 159 लीटर होते हैं . इसलिए 24 जून , 2020 को कच्चे तेल का प्रति लीटर भाव 20.68 रु. बनता है . इसके विपरीत, पेट्रोल – डीजल के मूल्य आसमान छूकर 80 रु . प्रति लीटर पहुंच गए हैं, जिससे साबित होता है कि मोदी सरकार भारत के भोले भाले नागरिकों की जेब पर डाका डालकर उन्हें खसोट रही है.
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने आग्रह किया कि 5 मार्च, 2020 के बाद पेट्रोल- डीजल के दामों एवं उत्पाद शुल्क में की गई बढ़ोत्तरी व सभी बढ़ाई गई फीस वापस ली जाए. इस अवसर में विकास नेगी, सुधांशु अग्रवाल, प्रकाश नेगी, उज्ज्वल, अनंत सैनी, भूपेंद्र सिंह, मुकुल, प्रदीप, शुभम, शीशपाल राणा, शेय पांडेय आदि.