नैनीताल. उत्तराखंड में कोराना संक्रमण के बीच कल ग्राम प्रधानों से जुड़ी एक बड़ी खबर भी आई है. अब घोटाले करने वाले एवं अपात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने वाले प्रधान किसी भी सूरत में बच नहीं पाएंगे और जिला स्तर पर ही जिला अधिकारी को कार्रवाई करने की पूरी कानूनी शक्तियां होगी.
2017 के बाद राज्य में कई मामलों में ग्राम प्रधान शिकायत के बाद भी डीएम की कार्रवाई से बच जाते थे. लेकिन हाई कोर्ट के हालिया आदेश के अनुसार जनता द्वारा प्रधानों की शिकायत पर अब डीएम सीधे उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकेंगे. राज्य के ग्रामीण अंचलों में कई प्रधानों द्वारा आधा अधूरी सड़कों, अपात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ, कई योजनाओं को कागजों में ही दिखाकर हड़पे जाने के मामले लोग उठाते रहे हैं. अब इन मामलों में जिला अधिकारी के समक्ष रखने पर वे प्रधान बच नहीं सकेंगे.
बतादें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के 9 जून 2017 के नोटिफिकेशन को संवैधानिक करार दिया है. जिसमें कहा गया है कि सरकार को अधिकार है कि वह अपनी शक्तियों का हस्तांतरण कर सकती हैं. सरकार के 9 जून 2017 के नोटिफिकेशन के अनुसार उत्तराखंड पंचायती राज एक्ट की धारा 138 के तहत ग्राम प्रधानों पर कार्रवाई का आदेश जिलाधिकारियों को दिया गया था.
इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत प्रमुख पर कार्रवाई का अधिकार निदेशक पंचायती राज और जिला पंचायत अध्यक्ष पर कार्रवाई का अधिकार प्रदेश सरकार ने अपने पास ही रखा था. इसी नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर करते हुए सरकार की बात पर अपन मुहर लगा दी. अब प्रधानों को लेकर आने वाली शिकायतों पर डीएम सीधे तौर पर कार्रवाई कर सकेंगे.