रुद्रप्रयाग. उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी ने उत्तराखंड में हुए भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर 29 अगस्त से जिलाधिकारी कार्यालय पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने का ऐलान किया है. युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि इस सम्बंध में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज दिया गया है. साथ ही पुलिस अधीक्षक को भी ज्ञापन की प्रतिलिपि भेज दी गई है.
उत्तराखंड क्रांति दल जनपद रुद्रप्रयाग इकाई की एक अहम बैठक में कार्यकारी जिलाध्यक्ष बुद्धिबल्लभ ममगाई और वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगत चौहान ने बताया दल की जिला इकाई ने सर्वसम्मति से तय किया है कि उत्तराखंड में चल रहे भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर एक व्यापक आंदोलन जरूरी है. इसी परिप्रेक्ष्य में उक्रांद ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया गया है. युवा नेता मोहित डिमरी 29 अगस्त से जिलाधिकारी कार्यालय पर भूख हड़ताल शुरू करेंगे. उनके समर्थन में दल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता धरने पर बैठेंगे.
वहीं निवर्तमान केंद्रीय संगठन सचिव जितार जगवाण, निवर्तमान केंद्रीय संगठन मंत्री पृथ्वीपाल सिंह रावत, पूर्व केंद्रीय सचिव गजपाल रावत, यूकेडी के निवर्तमान केंद्रीय महासचिव सुबोध नौटियाल, जिला महामंत्री राय सिंह रावत, अशोक चौधरी, केंदीय कार्यकारिणी सदस्य विष्णुकांत शुक्ला, कल्याण सिंह पुंडीर, चंद्रमोहन गुसाईं, लक्ष्मण सिंह नेगी, ब्लॉक अध्यक्ष कमल रावत, जिला महामंत्री प्रेम प्रकाश कोठारी, विक्रम सजवाण, दिनेश बर्त्वाल, नगर अध्यक्ष बिपिन पंवार, डॉ आशुतोष भंडारी, आजाद पंवार, मकान मेंगवाल, प्रदीप कंडारी, मंगत लाल खत्री, बीएस रावत, विनोद नेगी, गोपाल बर्त्वाल, आशीष बहुगुणा, विक्रम नेगी, अरविंद राणा, संजय राणा, जगदीश सकलानी, हिमांशु रावत, नरेंद्र नेगी, हिमांशु चौहान, मनोज ममगाई, शैलेन्द्र ध्यानी, दीपक भट्ट, जसपाल जगवाण, राजपाल बर्त्वाल, जसोधर सेमवाल, यशवंत बर्त्वाल, सुनील बिष्ट, कुलदीप कंडारी ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार भर्ती घोटाले सामने आने से बेरोजगार युवा आक्रोश में हैं. युवा हरेक भर्ती की सीबीआई जांच चाहते हैं, लेकिन उत्तराखंड सरकार इस मामले में पैरवी करती दिखाई नहीं दे रही है.
महिलाओं को 30, आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की मांग
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उत्तराखंड की महिलाओं को नौकरी में मिलने वाला 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण खत्म कर दिया है. उत्तराखंड की महिलाओं के हितों की रक्षा करते हुए इस मामले में सरकार को जल्द अध्यादेश लाकर इसे असम राज्य की तर्ज पर कानूनी जामा पहनाना चाहिए. साथ ही सरकार को राज्य आंदोलनकारियों का 10% क्षैतिज आरक्षण बहाल करना चाहिए.
भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधली की सीबीआई जांच की संस्तुति की जाय और विधानसभा सचिवालय में बैकडोर से हुई भर्तियों की जांच भी सीबीआई से कराई जाए. उन्होंने कहा कि स्नातक स्तर की अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा को रद्द करने के बजाय वास्तविक परीक्षार्थियों को नौकरी दी जाय. दोषी परीक्षार्थियों के खिलाफ कार्रवाई की जाय. प्रदेश भर में रिक्त चल रहे 60 हजार पदों को भरा जाय. साथ ही आउटसोर्सिंग और बैकडोर की व्यवस्था को खत्म किया जाय.