घनसाली. जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं कई जनप्रतिनिधियों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. 2017 में मोदी लहर में चुनाव जीते कई विधायकों का अधिकतर कार्यकाल पहली बार विधायक बनने के जोश और अपने इर्दगिर्द की दोस्त मंडली की वाहवाही के बीच कब ढलान पर आ गया, उन्हें भी पता नहीं है.
अब एक बार फिर 2022 के चुनाव की दहलीज पर खड़े विधायकों को अपने नाम व काम की चिंता सता रही है. यह चिंता तब ओर भी बढ़ गई है जबकि उनकी पार्टियों ने काम के आधार पर टिकट देने का मापदंड भी रखा है. सत्ता के मद में जनता के भविष्य की चिंताओं से बेपरवाह रहे ऐसे विधायक अब अपने भविष्य की चिंता से घिर गए हैं. हाल ही में घनसाली विधानसभा क्षेत्र के पट्टी ग्यारहगांव के डांग (दुबड़ी) में अध्यापक श्री आर.बी. सिंह के पिता स्वर्गीय श्री जसवीर सिंह (जसू) जी के वार्षिक श्राद्ध के अवसर पर ऐसी ही चिंता घनसाली के विधायक शक्तिलाल शाह ने व्यक्त की है.
स्व. जसवीर सिंह जी के वार्षिक श्राद्ध में श्रद्धांजलि सभा को किया संबोधित
श्री जसवीर सिंह जी के वार्षिक श्राद्ध के अवसर पर पुष्प अर्पित कर यहां आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए विधायक श्री शक्तिलाल शाह ने कहा कि मेरे पिता कहते थे कि व्यक्ति का नाम उसके जाने के बाद याद आना चाहिए और उसका काम उसके जीते जी याद आना चाहिए. इसी संबोधन में विधायक श्री शक्तिलाल शाह ने अपनी चिंता भी जाहिर कर दी कि मुझे इन 5 सालों में कार्य करने का अवसर तो मिला, लेकिन मुझे चिंता सता रही है कि क्या अब प्रथम सेवक से उतरने के बाद जनता का मेरे प्रति स्नेह बना रहेगा या नहीं.
अपने ही गृह क्षेत्र में विधायक श्री शक्तिलाल शाह के इस संबोधन को लेकर राजनीतिक जानकार तरह तरह की अटकलें लगा रहे हैं. कुछ जानकारों का मानना है कि विधायक का यह संबोधन और उनकी चिंता क्षेत्र से मिल रहे जनता के फीडबैक का प्रमाण है. वहीं घनसाली क्षेत्र के कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि विधायक श्री शक्तिलाल शाह इसी कार्यकाल को मन ही मन अंतिम मान चुके हैं और अब सिर्फ अपने कामों को जनता को याद रखने की बात कह रहे हैं. विधायक ने इस संबोधन में अपने काम को याद रखने की चिंता जाहिर की और सत्ता से उतरने की बात कही है. आगामी चुनाव के लिहाज से देखें तो उनके इस संबोधन कई कई मायने हैं.
दो अन्य प्रबल दावेदार हैं चिंता का कारण
उल्लेखनीय है कि घनसाली विधानसभा से 2017 में प्रचंड मतों से जीतने वाले विधायक शक्तिलाल शाह अपने बयानों के कारण शुरुआत से ही सुर्खियों में रहे हैं. लेकिन 2022 के चुनाव के लिए उनकी डगर कठिन मानी जा रही है. घनसाली में विपक्ष कांग्रेस की चुनौती तो है ही इसके इतर, पार्टी स्तर पर भी 60 के पार की रणनीति के चलते इस बार भारतीय जनता पार्टी अपने विधायकों के 5 साल के कामकाज और जनता के प्रति सेवा सर्मपण को आधार मानकर टिकट देने का संकेत दे चुकी है, वहीं घनसाली विधानसभा में भाजपा के दो अन्य प्रबल दावेदार सोहन खंडेवाल और दशर्नलाल आर्य मजबूत विकल्प के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
एक खास समूह को तब्बजों देने के कारण कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल की कमी और अन्य दावेदारों की गुटबंदी जनता में विधायक के कामकाज पर सवालिया निशान लगाने में हमेशा आगे रही है. दशर्नलाल आर्य और सोहन खंडेवाल कोरोना काल से ही घनसाली में सक्रियता बनाए हुए हैं और भाजपा के इन दोनों दावेदारों की मजबूत दावेदारी वर्तमान विधायक की चिंता का सबब बनी हुई है. अपने- अपने लिए खेमेबंदी में लगे तीनों भाजपा नेताओं में टिकट का ऊंट किस करवट बैठता है यह आने वाला समय बताएगा, लेकिन तब तक चिंताएं तीनों दावेदारों के अंदरखाने तैर रही हैं.