भोपाल. केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह (Amit Shah) ने रविवार को मध्यप्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने का शुभारंभ किया. केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने लाल परेड ग्राउंड पर रिमोट का बटन दबा कर हिन्दी भाषा में एबीबीएस प्रथम वर्ष की पुस्तकों एवं हिंदी (MBBS Hindi) की प्रतिस्थापना के नवीन प्रकल्प का शुभारंभ किया. उन्होंने मेडिकल बायोकेमेस्ट्री, मेडिकल फिजियोलॉजी तथा एनाटॉमी की हिन्दी पुस्तकों का विमोचन किया.
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि आज का दिन शिक्षा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जायेगा. हिंदी भाषा में मेडिकल शिक्षा का शुभारंभ, शिक्षा के क्षेत्र में पुनर्निर्माण का दिन है. इसके लिये प्रधानमंत्री श्री मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री चौहान बधाई के पात्र हैं. मध्यप्रदेश में 6 माह बाद इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक की शिक्षा भी हिंदी में प्रारंभ की जायेगी. साथ ही हिन्दी भाषा में अनुसंधान की व्यवस्था भी की जायेगी.
दिल तक जाती है मातृभाषा की बात
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि बच्चे की सोचने की प्रक्रिया उसकी मातृभाषा में होती है. मातृभाषा की बात दिल तक जाती है, जबकि अन्य भाषा की बात दिमाग तक. सोचने के साथ ही संशोधन, अनुसंधान, तर्क, विश्लेषण एवं निर्णय पर पहुँचने की प्रक्रिया मातृभाषा में होती है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई एवं अनुसंधान मातृभाषा में होने से भारत के विद्यार्थियों का डंका पूरे विश्व में बजेगा.
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने 19वीं शताब्दी में वेल्थ ड्रेन किया, 21वीं शताब्दी में वे ब्रेन ड्रेन थ्योरी लेकर आए. प्रधानमंत्री श्री मोदी अब इस थ्योरी को ब्रेन गेन की थ्योरी में बदल रहे हैं. मातृ भाषा में अध्ययन, विद्यार्थियों के चिंतन, तर्क एवं अनुसंधान की क्षमता को बढ़ाएगा. अपनी भाषा में पढ़ेंगे तभी विद्यार्थी देश की सच्ची सेवा कर पायेंगे.
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि भारत में जेईई, एईईटी, यूजीसी की परीक्षाएँ 12 भाषाओं में देने की व्यवस्था की गई है. सीयूईटी की परीक्षा 13 भाषाओं में और 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की परीक्षा भारतीय भाषाओं में देने के लिये कार्य प्रारंभ कर दिया है. सांकेतिक भाषा का मानकीकरण किया जा रहा है. हिंदी में पढ़ाई से विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता बढ़ेगी और भाषाई लघु ग्रंथि (इन्फीरियरिटी कॉम्पलेक्स) से मुक्त होंगे. उन्होंने कहा कि भाषा और बौद्धिक क्षमता का संबंध नहीं है. भाषा अभिव्यक्ति का साधन है. मातृभाषा में शिक्षा से बौद्धिक क्षमता निखरती है.
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि वर्ष 2013-14 में भारत में मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 थी, जो आज बढ़ कर 596 हो गई है. वही मेडिकल सीट्स की संख्या 51 हजार से बढ़ कर 89 हजार हो गई है. आईटीआई 16 हजार से बढ़ कर 23 हजार, आईआईएम 13 हजार से बढ़ कर 20 हजार, ट्रिपल आईआईटी सीट 9 हजार से बढ़ कर 25 हजार और कुल विश्वविद्यालय 723 से बढ़ कर 1043 हो गये हैं.
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश को तकनीकी और मेडिकल की शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध कराने का संकल्प लेकर बड़ा कार्य किया है. देश में 8 भाषाओं में इन विषयों की पुस्तकों का अनुवाद आरंभ हो चुका है. शिक्षा के साथ-साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग क्षेत्र में मातृभाषा में शोध और विकास को भी प्रोत्साहित किया जाएगा. मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में त्रिभाषा व्यवस्था का सफल क्रियान्वयन हुआ है. मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था देश में समता की क्रांति का पथ प्रशस्त करेगी.
आज अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति का दिन: मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज चौहान ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह एक नया सवेरा लेकर आये हैं. मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि विषयों की पढ़ाई हिंदी में होना शिक्षा जगत में नया प्रकाश होगा. यह अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति का दिन है. यह कार्य आजादी के बाद ही हो जाना था, जो अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहा है.
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमारे बहुत से विद्यार्थी पढ़ाई करने मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेज में पहुँच तो जाते थे, पर अंग्रेजी भाषा के कारण वे ढंग से पढ़ाई नहीं कर पाते थे. कुछ लोग तो पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते थे. हमारे बहुत से पिछड़े, दलित, गरीब विद्यार्थी भाषा को लेकर हीन भावना से ग्रस्त हो जाते थे. अब वे हिंदी भाषा में पढ़ाई कर अपनी क्षमता का पूरा विकास कर सकेंगे.
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत के मानस को बदल दिया है. अंग्रेजी भाषा की गुलामी से मुक्ति मिली है. अब विद्यार्थी हिंदी और मातृ भाषाओं में शिक्षा ले सकेंगे. मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में मेडिकल की पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि भाषा कठिन न हो जाए. तकनीकी शब्दों को अंग्रेजी में ही रखा गया है. भाषा को व्यवहारिक बनाया गया है. जो बच्चे हिंदी में पढ़ाई करेंगे, उनकी मेरिट लिस्ट भी अलग बनाई जायेगी.
आईआईटी और आईआईएम की पढ़ाई भी अब हिंदी में
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अब डॉक्टर हिन्दी में पर्चे लिख सकेंगे. वे पर्चे पर आरएक्स के स्थान पर श्रीहरि लिख सकते हैं. यह एक नये युग की शुरूआत है. आज का दिन प्रदेश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा. प्रदेश में आगामी 6 माह में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक की पढ़ाई भी हिंदी में प्रारंभ होगी. आईआईटी और आईआईएम की पढ़ाई भी हिंदी में करवाएँगे.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री Vishvas Kailash Sarang ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ की है. आजादी के बाद के 75 वर्षों में भारत में जो नहीं हुआ वह प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा है. लॉर्ड मेकाले ने अपनी शिक्षा नीति में जिस मानसिक गुलामी की नीति अपनाई थी, उसका अब अंत हो रहा है. नई शिक्षा नीति से भारतीय भाषाओं में सभी विषयों की पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिये प्रधानमंत्री श्री मोदी और मुख्यमंत्री श्री चौहान बधाई के पात्र हैं.