नागपुर. देशभर में घर से राह भटकर असंख्य युवक युवतियां अजनबी राह पर निकल जाते हैं. ऐसे बच्चे या लोग जब किसी अनजान शहर में किसी रेलवे स्टेशन या बस अड्डों पर पहुंचते हैं तो उनके होश उड़ जाते हैं. उन्हें न तो उस जगह का पता होता है न कोई जानने वाला. हजारों बच्चे इन्हीं काराणों से कई बार असामाजिक स्थितियों के शिकार भी हो जाते हैं. लेकिन कुछ समाजसेवी व्यक्ति ऐसे भी हैं जो विभिन्न शहरों में ऐसे बच्चों और राह भटके लोगों की जिंदगी में उजाले की किरण लेकर आते हैं.
संघ विचारक, समाजसेवी व वरिष्ठ पत्रकार श्री जगदीश थपलियाल जी ऐसी ही उम्मीद की किरण बनकर भटके लोगों की जिंदगी को रौशन कर रहे हैं. मूल रूप से उत्तराखंड के नैलचामी के रहने वाले और श्री जगदीश थपलियाल जी अपनी कर्मभूमि नागपुर में अनाथ बेसहारा लोगों की जिंदगी को पटरी पर लाने की सामाजिक मुहिम में लगे हैं।
सुरक्षित समाज के नवनिर्माण के लिए यह कार्य जरूरी
संघ विचारक श्री जगदीश थपलियाल जी कहते हैं कि यह कार्य एक तरह से सुरक्षित समाज के नवनिर्माण का है. क्योंकि आज शहरों में जो असामाजिक गतिविधियां बढ़ रही हैं उनके मूल कारण में जाएं तो यह वही लोग हैं जो किसी तरह अपने जीवन की राह भटककर किसी अनजान जगह पहुंच जाते हैं और वहां वे असामाजिक तत्वों के हाथ लग जाते हैं. हम अगर किसी घर से राह भटके लोगों की मदद कर सकें तो वह ऐसे असामाजिक तत्वों के हाथ नहीं लगेंगे और समाज को सुरक्षित रखने के साथ ही अपराधों पर भी लगाम लगेगी.
श्री जगदीश थपलियाल पिछले कुछ वर्षों से ऐसे लाचार लोगों को पुलिस, सामाजिक संगठन, चाइल्ड हेल्पलाइन, रेलवे पुलिस आदि के माध्यम से उनकी मदद कर रहे हैं और अब तक कई लोगों को उनके घर वालों के पास सुरक्षित भेज चुके हैं। श्री जगदीश थपलियाल कहते हैं कि कई बार राह भटके लोग किसी कारणवश अपने घर जाने तैयार नहीं होते ऐसी स्थिति में उनके लिये स्थानीय स्तर पर ही रोजगार, ट्रेनिंग आदि की भी व्यवस्था भी वे करवाते हैं।
श्री थपलियाल जी इस कार्य को बिना किसी सरकारी मदद के अपने ही खर्चे से कर रहे हैं। श्री थपलियाल जी विद्यार्थियों को रोजगार परक शिक्षा के लिये व पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिये भी निशुल्क मार्गदर्शन कर मानवता की नई मिशाल कायम कर रहे हैं।