हरिद्वार. गंगोत्री धाम के रावल शिवनारायण हरिद्वार पहुँचे गए हैं. उन्होंने यहां निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्रपुरी महाराज से की मुलाकात की. रावल ने बताया कि 26 अप्रैल को ही गंगोत्री धाम के कपाट खोले जाएंगे. श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर सरकार द्वारा तय किये नियमों का पालन किया जाएगा. साथ ही कहा कि सोशल डिस्टेन्स का पालन करते हुए चार दिन बाद गँगा सप्तमी पर्व भी मनाया जाएगा.
टिहरी राज परिवार तय करेगा कौन करेगा पूजा !
देश में कोरोना संकट के कारण लोग यहां वहां फंसे हैं. इस बीच उत्तराखंड के चारधामों के कपाट भी खुलने हैं और केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम के मुख्य रावल इन दिनों महाराष्ट्र व केरल में हैं. 29 को केदारनाथ और 30 अप्रैल को बद्रीनाथ के कपाट खुलने हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केदारनाथ के रावल को महाराष्ट्र सरकार ने उत्तराखंड जाने की अनुमति दे दी है और मांग यह भी की जा रही है कि चार्टेड प्लेन या सड़क मार्ग से लाने की विशेष मंजूरी मिल जाए.
खैर ये तो बात है दोनों रावलों को उत्तराखंड पहुंचाने की, लेकिन अगर किसी कारण इस बार दोनों रावल कपाट खुलने पर केदारनाथ, बद्रीनाथ नहीं पहुंचते हैं तो फिर कौन करेगा पूजा यह प्रश्न स्वाभाविक है. बताते चलें कि अगर इस बार बद्रीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी जी कपाट खुलने तक बद्रीनाथ नहीं पहुंचते हैं तो फिर टिहरी का राज परिवार तय करेगा कि पूजा कौन करे.
श्री बद्रीनाथ धाम पुष्प वाटिका पुस्तक के अनुसार 1776 में यहां रावल के आकस्मिक निधन की स्थिति में गढ़वाल नरेश प्रदीप शाह ने डिमरी जाति के ब्राह्मण को पूजा के लिए नियुक्त किया था. श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के एक्ट के अनुसार कोई ब्रह्मचारी सरोला ब्राह्मण भी भगवान बद्रीनाथ की पूजा कर सकते हैं, किंतु देखना यह होगा कि अब राज्य में मंदिर समिति नहीं, देवस्थानाम बोर्ड पर व्यवस्थाओं का जिम्मा है.