भराड़ीसैण. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी द्वारा विधानसभा में गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा से देश और विदेश सहित पूरे उत्तराखंड में खुशी की लहर दौड़ गयी है.
सोशल मीडिया में खुशी के इस मौके पर यह बात भी उठी कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के ऐलान के वक्त थोड़ा शब्दों का हेरफेर कर देते और बजाय गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन कहने के कह देते कि देहरादून अब सिर्फ शीतकालीन राजधानी रहेगी और स्थाई राजधानी गैरसैंण होगी तो उत्तराखंड में आज की यह एतिहासिक तिथि और भी यादगार बन जाती.
खैर मुख्यमंत्री ने जो गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का ऐलान किया, उससे सोशल मीडिया से लेकर हर तरफ उत्तराखंडियों ने मुख्यमंत्री इस फैसले का स्वागत किया है. उत्तराखंड राज्य निर्माण के 20 साल बाद राजधानी की यह लड़ाई लगभग आधी सफल हो गई है. उत्तराखंड सरकार के इस एतिहासिक फैसले पर उत्तराखंड के मूल निवासियों के हकों और राज्य से पलायन को लेकर सतत चिंतन करने करने वाले श्री रतनसिंह असवाल जी ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.
श्री असवाल ने कहा कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाये जाने का त्रिवेंद्र सरकार का फैसला इस मायने से काफी साहसिक माना जा सकता है कि इस प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा ऐसा फैसला लेने में जोखिम की आशंका देख अपने कदम आगे नही बढ़ाये गए. निसंदेह यह कदम गैरसैंण के स्थायी राजधानी बनने की बुनियाद साबित होगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि बहुत शीघ्र इस कदम पर सकारात्मकता से बढ़ते हुए एक दिन गैरसैंण इस प्रदेश की स्थायी राजधानी बनेगी. त्रिवेंद्र सरकार के इस कदम की दलगत राजनीति से उठकर सराहना की जानी चाहिए, जिससे सरकार को गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के संभावित फैसले को लेने में दोगुना उत्साह व ऊर्जा मिल सके.
राजनीतिक दक्षता प्रमाणित की: डा. राजेश्वर उनियाल
उत्तराखंड के जो राजनीतिक समीक्षक कल तक यह कहते थे कि मुख्यमंत्री माननीय श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी प्रशासन और राजनीति में चतुर नहीं हैं, उन्हें अपनी खुली आंखों से देख लेना चाहिए कि उन्होंने सत्ता में आने के बाद पंचायत चुनावों से लेकर लोकसभा तक विजय पाकर जहाँ अपनी राजनीतिक दक्षता प्रमाणित की है, वहीं गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाकर विरोधियों के आंदोलन की सुगबुगाहट पर पानी फेर दिया है.
पर पूर्णकालीन राजधानी हो गैरसैण : श्री शंकरसिंह रावत
उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना तब तक कतई सार्थक नहीं हो सकती है जबतक इसकी राजधानी गैरसैण जैसे पहाड़ी क्षेत्र में और गढ़वाल कुमायूं के केंद्र बिंदु में न हो. ओर अगर आज उत्तराखंड सरकार ने गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है तो इसे एक सकारात्मक पहल ही कहा जायेगा.
वास्तविकता में तो गैरसैण उत्तराखंड की पूर्णकालीन राजधानी होनी चाहिए जो कि उत्तराखण्ड राज्य बनने से पहले राज्य के लिए संघर्ष कर रहे हजारों लोगों की परिकल्पना थी, इससे न केवल उत्तराखंड का आम आदमी लाभान्वित होगा बल्कि पलायन जैसे अति ज्वलंत समश्या का हल भी निकलेगा. फिलहाल अगर ग्रीष्मकालीन राजधानी वहां ले जाने का निर्णय हुआ तो निश्चित ही सराहनीय कदम है ओर हम सबको इसका स्वागत करना चाहिए.