नवी मुंबई । एक दौर था जब उत्तराखंड से लोग रोजगार की तलाश में मुंबई आए और अपने घर परिवार का पालन पोषण किया। लेकिन आज उत्तराखंड के प्रवासियों ने अपनी कड़ी मेहनत से मुंबई में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। इसलिए अब जरूरत है कि प्रवासी उत्तराखंड के गांव गोद लें, जिससे उनके गांवों का भी विकास हो सके। यह बातें उत्तराखंड खेल परिषद के उपाध्यक्ष हेमराज बिष्ट ने नवी मुंबई में देवभूमि प्रतिभा संस्कृति फाउंडेशन की ओर से 14 सितंबर को 2025 आयोजित “मेरी बोली भाषा’ कार्यक्रम के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि राज्य खेल परिषद में राज्यमंत्री का दायित्व मिलने के बाद वे लगातार गढ़वाल-कुमाऊं-जौनसार के गांव-गांव का दौरा कर रहे हैं और खेल के क्षेत्र में सुदूर गांव की युवा प्रतिभागों को तरासने के लिए अनेक योजनाओं पर कार्य कर रहे हैं। बिष्ट ने कहा कि इसके लिए उत्तराखंड सरकार प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर मिनी स्टेडियम बना रही है। उन्होंने मुंबई में उत्तराखंडी बोली भाषा कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि हम देवभूमि के लोग जहां भी रहें अपनी बोली भाषा बचाने का प्रयास करें और अपने घर में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी ही बोलें।
इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में स्थानीय युवा नेता प्रीतम म्हात्रे, रवि पाटील, पूर्व एनएसजी कमांडो लक्की बिष्ट आदि मौजूद रहे। संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सामाजिक और सांस्कृतिक पटल पर योगदान देने के लिए समाजसेवी, सावित्री पुरोहित, लाेक गायक देवकी नंदन कांडपाल और लोक गायक सुरेश काला को इस वर्ष गोविंद बल्लव पंत पुरष्कार से नवाजा गया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए डीपीएस के संयोजक प्रवीण ठाकुर, समाजसेवी मनोज भट्ट, अभिनेता ज्योति राठौर, मनोज दानू, घनश्याम भट्ट, भुपेंद्र, प्रदीप मौनी, मंगल सिंह, सचिन आर्य आदि ने परिश्रम किया।