देहरादून। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर मेडिकल एजुकेशन तक, हर क्षेत्र में सुधार की नई मिसालें स्थापित हो रही हैं। उत्तराखण्ड ने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाने, संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन देने और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा बढ़ाने में बड़ी सफलता हासिल की है।राज्य गठन के 25 वर्षों में उत्तराखण्ड ने स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में लंबी छलांग लगाई है। आज प्रदेश के हर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का जाल बिछ चुका है। वर्तमान में राज्य में 13 जिला चिकित्सालय, 21 उप जिला चिकित्सालय, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 577 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और करीब 2,000 मातृ-शिशु कल्याण केंद्र सक्रिय हैं, जहाँ आम जनता को स्थानीय स्तर पर उपचार मिल रहा है।
सरकार ने हाल ही में 6 उप जिला चिकित्सालय, 6 सीएचसी और 9 पीएचसी के उन्नयन को मंजूरी दी है। साथ ही सेलाकुई (देहरादून) और गेठिया (नैनीताल) में 100-100 शैय्यायुक्त मानसिक चिकित्सालयों का निर्माण तेजी से जारी है। भारत सरकार के सहयोग से उत्तरकाशी, गोपेश्वर, बागेश्वर व रुड़की में 200 शैय्यायुक्त क्रिटिकल केयर ब्लॉक, और मोतीनगर (हल्द्वानी) व नैनीताल में 50-50 शैय्यायुक्त ब्लॉक तैयार किए जा रहे हैं। देश में पहली बार एम्स ऋषिकेश के सहयोग से उत्तराखण्ड में हेली-एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई है, जिससे पर्वतीय व दुर्गम इलाकों में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हुई हैं।
पिछले पांच सालों में मातृ मृत्यु दर (MMR) और नवजात शिशु मृत्यु दर (IMR) में निरंतर कमी आई है। सरकार का लक्ष्य है कि IMR को घटाकर 12 और MMR को 70 प्रति लाख जीवित जन्म तक लाया जाए। राज्य गठन के समय IMR 52 प्रति हजार थी, जो अब घटकर 20 रह गई है।एसआरएस 2023 रिपोर्ट के अनुसार, MMR 450 प्रति लाख से घटकर अब मात्र 91 रह गई है। सकल प्रजनन दर (TFR) भी 3.3 से घटकर 1.7 हो गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) 2020-21 के अनुसार, राज्य में संपूर्ण प्रतिरक्षण दर 88.6% तक पहुँच चुकी है, जो राज्य गठन के समय 47% थी। वहीं संस्थागत प्रसव दर अब 83.2% हो गई है, जबकि राज्य निर्माण के समय यह मात्र 21% थी।
220 चिकित्सक दुर्गम क्षेत्रों में किए तैनात
राज्य निर्माण के समय स्वास्थ्य विभाग में 1,621 डॉक्टरों के पद स्वीकृत थे। सरकार ने 1,264 नए पद सृजित कर यह संख्या 2,885 तक पहुंचाई। रिक्तियों को भरने के लिए निरंतर भर्ती अभियानों के साथ-साथ, सरकार ने 220 चिकित्सकों को दुर्गम क्षेत्रों में तैनात किया है। वर्तमान में कुल 2,885 पदों के सापेक्ष 2,598 डाॅक्टर तैनात हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उनकी सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी है। लंबे समय से अनुपस्थित 56 डॉक्टरों की सेवा समाप्त कर सरकार ने सख्ती का संदेश भी दिया है।
राज्य सरकार ने अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए 1,399 नर्सिंग अधिकारियों की नियुक्ति की है। एएनएम के 1,933 पदों को बढ़ाकर 2,295 किया गया, जिनमें से 1,918 पद भरे जा चुके हैं। चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से 34 एक्स-रे टेक्नीशियन सहित अन्य पैरामेडिकल कर्मियों की भर्ती भी की गई है।
2024-25 के दौरान 1,47,717 संस्थागत प्रसव कराए गए
वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 1,47,717 संस्थागत प्रसव कराए गए, जो कुल प्रसव का 85 प्रतिशत हैं। वर्ष 2025 में 17 सितम्बर से 02 अक्टूबर तक चलाए गए विशेष अभियान के तहत 37 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की एनीमिया जांच की गई। राज्य में हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में दो पोषण पुनर्वास केंद्र भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें इस वर्ष अब तक 32 कुपोषित शिशुओं का उपचार किया गया।
13 जिलों में 1,985 आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित
प्रदेश के 13 जिलों में अब तक 1,985 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) स्थापित किए जा चुके हैं। इन केंद्रों से हर वर्ष 34 लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। बीते तीन वर्षों में 28.8 लाख लोगों की ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच, 28.4 लाख लोगों के माउथ कैंसर और 13.1 लाख महिलाओं के स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग की गई।
वर्ष 2008 में शुरू हुई 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा अब राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ बन चुकी है। वर्तमान में इस सेवा में 272 एम्बुलेंस हैं,जिनमें 217 बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS), 54 एडवांस लाइफ सपोर्ट (ALS) और 1 बोट एम्बुलेंस शामिल है। वर्ष 2019 से अगस्त 2025 तक, इस सेवा के माध्यम से 8.79 लाख से अधिक लोगों को आपातकालीन सहायता मिली है।
11 गंभीर बीमारियों के इलाज हेतु आर्थिक मदद
राज्य व्याधि सहायता निधि समिति के तहत बीपीएल वर्ग के मरीजों को 11 गंभीर बीमारियों के इलाज हेतु आर्थिक मदद दी जाती है। वर्ष 2005-06 से अब तक 1,045 लाभार्थियों को इस योजना से सहायता मिली है, जिस पर ₹12.85 करोड़ रुपए अधिक व्यय हुआ है।
सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य में 335 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित हैं, जबकि 48 नए केंद्र प्रस्तावित हैं।इन केंद्रों से आम नागरिकों को दवाएं बाजार मूल्य से 50-80% तक सस्ती मिल रही हैं।
2,182 पंचायतें टीबी मुक्त घोषित
राज्य में टीबी मुक्त उत्तराखण्ड अभियान के तहत 2,182 पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की जा चुकी हैं। अभियान में 18,159 निक्षय मित्र अब तक जुड़ चुके हैं, जिनमें से 8,658 सक्रिय रूप से टीबी मरीजों को गोद लेकर सहयोग कर रहे हैं।
हर वर्ष चार धाम और कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी धामों और यात्रा मार्गों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और जीवनरक्षक उपकरणों की तैनाती की जाती है। स्वास्थ्य सलाह (health advisory) 13 भाषाओं में जारी की जाती है, ताकि देश-विदेश से आने वाले यात्रियों को कोई असुविधा न हो।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत देहरादून और अल्मोड़ा में दो नए परिवार नियोजन साधनों की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही डेंगू और अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम को लेकर विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत 19 केंद्रों में 166 मशीनों द्वारा इस वर्ष अब तक 46,958 डायलिसिस सत्र संपन्न किए जा चुके हैं।
2016 से अब तक राज्य में 65 blood bank स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें 28 सरकारी, 18 निजी व 19 चैरिटेबल संस्थान हैं। रक्त की उपलब्धता और आपातकालीन सेवाओं में बड़ी सुविधा मिली है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक परिवर्तन आया है। आगामी वर्षों में हर गांव और हर व्यक्ति को समयबद्ध, सस्ती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। यह परिवर्तन केवल योजनाओं का नहीं, बल्कि संकल्प और प्रतिबद्धता का परिणाम है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखण्ड सरकार का लक्ष्य है कि राज्य का हर नागरिक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ सके। हमने स्वास्थ्य सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुँचाने के लिए एनएचएम को एक मजबूत स्तंभ के रूप में कार्यरत किया है। आज प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर ऐतिहासिक रूप से घटी है, संस्थागत प्रसव की दर में वृद्धि हुई है और लोगों में स्वास्थ्य के प्रति नई चेतना आई है। हमारी सरकार की प्राथमिकता है ‘स्वस्थ उत्तराखण्ड, समृद्ध उत्तराखण्ड’।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने स्वास्थ्य ढांचे को सशक्त बनाने के लिए रिकॉर्ड स्तर पर निवेश किया है। हेली-एंबुलेंस सेवा, आयुष्मान आरोग्य केंद्र, नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा में विस्तार जैसी पहलों से हमने स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुँचाया है। मेरा विश्वास है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखण्ड देश के सबसे स्वस्थ राज्यों में शामिल होगा और हमारी नीतियां जनसेवा की नई दिशा तय करेंगी।













