श्री हरीश दसौनी जी नहीं रहे…
मुंबई मैं उत्तराखंडी समाज का कोई भी समारोह हो या किसी उत्तराखंडी के घर में कोई भी सुख-दुख का कार्य हो, तो यह स्वाभाविक था कि वहां के कैटरर्स हमारे ही श्री हरीश दसौनी जी ही होंगे । स्थूल काया लिए मृदुल स्वभाव के श्री हरीश दसौनी जी की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वह अधिकतर पहाड़ी भोजन ही बनाते थे, जो कि बहुत ही स्वादिष्ट होता था। इतना ही नहीं, तो वह सामाजिक संस्थाओं या व्यक्तियों के क्षमता के अनुसार ही पैसा लेते थे । इसी के साथ कभी अगर उनको 300 लोगों के लिए भोजन बनाने हेतु कहा गया हो और 400-500 लोग आ जाएं, तो वह महाभारत के राजा उड़प्पी की तरह सभी को संतुष्ट कर देते थे । अर्थात उनका पात्र सदैव अक्षय रहता था।
उनका उत्तराखंडी समाज से जितना लगाव था, इतना ही लगाव व अपनत्व उत्तराखंडी समाज का उनसे भी था । मेरे प्रति उनके मन में एक अपार श्रद्धा और सम्मान भी भरा हुआ था । उन्होंने कभी भी मुझसे भोजन का पैसा लेना स्वीकार नहीं किया । अब उनका यह ऋण हमारे ऊपर सदैव रहेगा। इस ऋण से बचने का बस एक ही रास्ता है कि हम भी अपने समाज की इसी तरह से निस्वार्थ सेवा कर उऋण हो सकें।
श्री हरीश दसौनी जी के निधन से मुंबई का पूरा उत्तराखंडी समाज स्तब्ध है । भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने के साथ ही उनके परिवार को यह दुख झेलने की शक्ति प्रदान करे।